पूरी दुनिया 31 दिसंबर की रात से ही नए साल के जश्न में डूब जाती है और रात के बारह बजते ही लोग बांहे फैलाकर हर्षोल्लास के साथ नए साल का स्वागत करते हैं.
31 दिसबंर 2016 की रात से ही पूरी दुनिया नए साल के आगमन के जश्न में सराबोर थी. जैसे ही रात के 12 बजे लोगों ने बड़े ही धूमधाम से साल 2017 का स्वागत किया.
लेकिन जो लोग हर साल जनवरी को साल का पहला महीना और 1 जनवरी को नए साल का पहला दिन मानते हैं ये खबर उनके लिए है.
जनवरी नहीं है साल का पहला महीना
ना तो जनवरी साल का पहला महीना है और ना ही 1 जनवरी नए साल का पहला दिन है. इस बात पर आप यकीन कर लेंगे जब हम आपके सामने पेश करेंगे कुछ चौंकानेवाले तथ्य.
अंग्रेजी महीने के हिसाब से सितंबर नौवां, अक्टूबर दसवां, नवंबर ग्यारहवां और दिसंबर बारहवां महीना माना जाता है. जबकि इसका क्रम सातवां, आठवां, नौवां और दसवां होना चाहिए.
क्योंकिं हिंदी में सात को सप्त और आठ को अष्ट कहा जाता है. जबकि इसे अंग्रेजी में इसे सेप्ट और ऑक्ट कहा जाता है. इसी से अंग्रेजी में (September) सेप्टेंबर और (October) ऑक्टोबर महीने का नाम बना.
दिसंबर हुआ करता था 10वां महीना
बताया जाता है कि सन 1752 के पहले दिसंबर साल का दसवां महीना हुआ करता था. इसका एक और सबूत मिलता है और वो है क्रिसमस का दिन.
हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमय यानी ‘X-mas’ मनाया जाता है. अब ये तो आप सभी जानते ही हैं कि ‘X’ को रोमन लिपि में क्या कहा जाता है. जी हां, ‘X’ को रोमन लिपि में 10 का प्रतीक माना जाता है और mas यानी महीना.
पहले दिसंबर दसवां महीना ही हुआ करता था इसलिए 25 दिसंबर दसवां महीना यानी X-mas के रुप में प्रचलित हो गया.
इन तथ्यों पर अगर गौर किया जाए तो फिर ये कहना गलत नहीं होगा कि अंग्रेज किसी जमाने में हमारे पंचाग के मुताबिक ही चलते थे. या फिर उनके कैलैंडर में 12 के बजाय 10 महीने ही हुआ करते थे. साल में 10 यानी 365 दिन के बजाय सिर्फ 305 दिन.
पूरी दुनिया करती थी भारत का अनुसरण
अब साल में सिर्फ 305 दिन हो ऐसा तो नहीं हो सकता इसलिए इस बात की गुंजाइश बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं कि प्राचीन काल में अंग्रेज ही नहीं बल्कि पूरा विश्व भारतीयों से प्रभावित हुआ करता था. भारतीय पंचाग के हिसाब से ही उनका अंग्रेजी कैलेंडर चलता था.
आज अंग्रेज भले ही 1 जनवरी से नए साल की शुरूआत मानते हैं लेकिन उनका नया बही खाता तो एक अप्रैल से ही शुरू होता है. पूरी दुनिया में वित्त वर्ष अप्रैल से लेकर मार्च तक का होता है. प्राचीन काल में भारतीय अप्रैल से अपना नया साल मनाते थे जो ये साबित करता है कि पूरी दुनिया पर भारत का गहरा प्रभाव था.
रात के 12 बजे से नहीं शुरू होता है नया दिन
अंग्रेज अपनी तारीख या दिन 12 बजे रात से बदल देते हैं. जबकि सही मायने में सूर्योदय से ही दिन की शुरूआत होती है.
भारत में नए दिन की शुरूआत सूर्योदय से करीब दो-ढाई घंटे पहले यानी ब्रह्म मुहूर्त की बेला से होती है. ये समय सुबह 4.30 से 5.00 बजे के आस-पास का होता है जबकि इस समय इंग्लैंड में समय रात के 12 बजे के आस-पास का होता है.
तथ्यों के मुताबिक भारतीयों के प्रभाव में जीनेवाले अंग्रेज अपना दिन भी भारतीयों के दिन से मिलाकर रखना चाहते थे. शायद इसलिए उन लोगों ने रात के 12 बजे से ही नया दिन और तारीख बदलने के नियम को अपना लिया होगा.
इस तरह से जनवरी नहीं है साल का पहला महीना – गौरतलब है कि प्राचीन समय से ही अंग्रेज भारतीयों के पंचाग के नियम का पालन करते आ रहे हैं तो फिर हम क्यों इस अंग्रेजी नए साल के जश्न को लेकर हर साल इतने ज्यादा उत्साहित रहते हैं और इस उत्साह में आकर हम भारतीय पंचांग के तहद आनेवाले न्यू ईयर को मनाना भूल जाते हैं.