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हिंदु देवी देवता पशु या पक्षी को वाहन के रुप में प्रयोग क्यों करते है?

पशु पक्षी

हिंदु देवी देवता पशु पक्षी को वाहन के रुप में प्रयोग करते है।

इसमें संदेश के साथ यह कई रहस्य भी जुडे है। यह पशु पक्षी हमारे लिए भी उपयोगी होते है। यह हमारी कई समस्याओं को दूर करने वाले हो सकते हे।

आईए जानते है यह पशु पक्षी हमारे किस प्रकार की सीख ले सकते है।

बैल-

यह शिवजी का वाहन एवं किसानो के लिए यह सर्वधिक उपयोग पशु है। यह शक्तिशाली होते हुए भी शांत रहता है। मेहनती होता है, एवं ज्यादा डिमांड नही करता है। सीधा पशु होता है। मशीनों के आने के पूर्व एवं आज भी यह कृषी कार्यो में प्रयोग हाेता है।

शेर-

यह दुर्गाजी का वाहन है। इसके दांत, नाखुन, खाल आदि सभी अंग तंत्र प्रयोग में आते है। इन प्रयोगो से धन एवं ताकत प्राप्त की जाती है। (प्रतिबंधित होने के कारण इसका पूर्ण उल्लेख नही किया जा रहा ) शक्ति का प्रतीक है। यह जंगली पशु पालतु नही है।

मोर-

यह कार्तीकेय का वाहन है। इसका पंख घर मे रखने से सांप बिच्छु आदि का घर में आने का भय नही रहता। मोर सुंदर हाेता है। इसलिए कृष्ण सदाा मोर पंख सर पर धारण करते हे।

चूहा-

यह गणेशजी का वाहन है। चूहा बिना कारण वस्तुओं को कुतर डालता है। ऐसे ही कुतर्क करने वाले बिना कारण हर बात पर बहस करते है। इनकी सवारी ज्ञान गणपति ही कर सकते है।

सर्प-

यह जहर से युक्त भी होता है। शिवजी के गले में एवं विष्णु जी की शैय़्या के रुप में रहता है। यह चूहों का भक्षण कर अनाज की रक्षा कर किसानों की सहायता करता है।

हंस-

देवी सरस्वती का यह वाहन ज्ञानवान होता है। यह पानी में मिश्रित दुध को पी लेता है, एवं जल छोड़ देता है। यानि की अच्छी बातों को ग्रहण करता है एवं बुरी बातों का त्याग कर देता है। यह ज्ञान का प्रतीक है।

उल्लू-

देवी लक्ष्मी का वाहन उल्लु होता है। यह रात में भी क्रियाशील होता है। मेहनत करने वालें को ही लक्ष्मी प्राप्त होती है। हाथी भी उनका वाहन है। हाथीयों में स्त्री ही ग्रुप लीडर होती है। अर्थात जहां महिलाओं को सम्मान होता है। वहां लक्ष्मी का वास होता है।

भैंसा-

यमराज का वाहन है। यह सामाजिक प्राणी होता है। एकता का संदेश देता है। भैंसा एकता से रहकर शेरों के झुंंड से अपने एवं अपने परिवार की रक्षा कर लेते है।

तो इसलिए हिंदु देवी देवता पशु पक्षी को वाहन के रुप में प्रयोग करते है।