आतंकी संगठन तालिबान ने एक अनूठी पेशकश कर दुनिया को चौका दिया है.
तालिबान ने अपनी ओर से पहल करते हुए एक ऐसी घोषणा की है, जिसको सुनकर भारत ही नहीं पाकिस्तान और अफगानिस्तान भी हैरान हैं.
रेल लाइन और गैस पाइप लाइन को बमों से उड़ाने वाले आतंकी संगठन तालिबान ने कहा है कि वह तापी गैस पाइपलाइन सहित अन्य परियोजनाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा.
इतना ही नहीं वह अब उनको सुरक्षा भी प्रदान करेगा.
अफगानिस्तान में हिंसा के लिए जिम्मेदार आतंकी संगठन तालिबान ने अपनी घोषणा से पूरी दुनिया को चौंका दिया. ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी आतंकी संगठन ने इस जनहित की किसी योजना को नुकसान नहीं पहुँचाने की बात कही है.
तालिबान ने तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (तापी) गैस पाइपलाइन सहित देश की सभी आधारभूत परियोजनाओं की सुरक्षा की पेशकश की है. इनमें अफगान सरकार की हाइवे, रेलवे सहित अन्य क्षेत्रों से जुड़ी तमाम परियोजनाएं हैं.
यह पहला मौका है जब विकास परियोजनाओं और सहायताकर्मियों को निशाना बनाने के लिए कुख्यात अफगान तालिबान ने ऐसी पेशकश की है. तालिबान ने अपने एक बयान में कहा है कि वह आम लोगों के लिए विकास और समृद्धि लाने वाली परियोजनाओं के साथ है और उनके पूरा होने में रूकावट नहीं खड़ी करेगा. साथ ही तालिबान ऐसी परियोजनाओं की सुरक्षा के लिए भी वह प्रतिबद्ध है.
गौरतलब है कि तालिबान द्वारा नुकसान न पहुंचाने के साथ विकास परियोजनाओं को सुरक्षा देने की जो बात कही है वह सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. बताया जाता है कि तालिबान ने अपने सदस्यों से कहा है कि देश और इस्लाम के हित में इन परियोजनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में वे मदद करें.
आप को बता दें कि बयान में 10 अरब डॉलर (करीब 686 अरब रुपये) की तापी गैस पाइपलाइन और चीनी कंपनी की ओर से संचालित तांबा खनन के एक प्रोजेक्ट का विशेष तौर पर जिक्र किया गया है.
महत्वाकांक्षी तापी गैस पाइपलाइन परियोजना की शुरुआत बीते साल दिसंबर में हुई थी. 1680 किलोमीटर लंबी इस पाइपलाइन के 2018 तक चालू होने की उम्मीद है.
अफगानिस्तान के आतंकी हिंसा प्रभावित क्षेत्र कंधार और हेरात प्रांत होते हुए यह पाइपलाइन पाकिस्तान के रास्ते भारत के फजिल्का तक आएगी. यह प्राकृतिक गैस तुर्कमेनिस्तान के गालखामिश गैस फील्ड से निकाली जाएगी. यहां पर करीब 16 खरब घन फीट गैस संरक्षित है.
इस पाइपलाइन की प्रतिदिन की क्षमता 90 मिलियन क्यूबिक मीटर गैस सप्लाई करने की होगी और इसके जरिए करीब 30 साल तक गैस आपूर्ति की जा सकेगी.
इससे 38 मिलियन क्यूबिक मीटर गैस भारत और 14 मिलियन क्यूबिक मीटर गैस अफगानिस्तान को मिलेगा. इससे कुछ गैस पाकिस्तान को भी मिलेगी.