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आखिर सूर्योदय के पहले ही फांसी क्यों दी जाती है?

फांसी सूर्योदय से पहले

दोस्तों ये तो हम सभी जानते हैं की जेल मैन्युअल के तहत अपराधी को हमेशा फांसी सूर्योदय से पहले दे दी जाती है, लेकिन ऐसा क्यों होता है?

ये हममें से बहुत हीं कम लोग जानते हैं.

फांसी देते वक़्त अपराधी के परिजन वहां क्यों नहीं होते ?

तो चलिए आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे – जानते है फांसी सूर्योदय से पहले क्यों दी जाती है –

फांसी सूर्योदय से पहले की नैतिक वजहें

ऐसा माना जाता है की अपराधी को दिन भर का इंतज़ार नहीं करना चाहिए. नहीं तो उसके दिमाग पर बहुत हीं गहरा असर पड़ता है. इसलिए अपराधी को सुबह उठाकर नित्य क्रिया से नीवृत होकर फांसी के लिए ले जाया जाता है और दूसरी वजह ये भी है की सुबह होते हीं सभी लोग अपने काम में लग जाते हैं. चुकी उसी तरह जेल में भी लोग सुबह अपने कामों में लग जाते हैं, इसलिए भी फांसी की सजा सूर्योदय से पहले दे दी जाती है, जिससे दूसरों पर भी इसका बुरा प्रभाव ना पड़े.

फांसी सूर्योदय से पहले की सामाजिक वजहें

जिसने बहुत हीं बुरा कर्म किया हो उसे हीं फांसी की सजा दी जाती है, इसलिए समाज में इसका बुरा असर ना हो इस बात को भी ध्यान में रखते हुए, सूर्योदय से पहले हीं फांसी दे दी जाती है.

फांसी सूर्योदय से पहले की प्रशासनिक वजहें

चुकी अपराधी को फांसी देने से पहले और बाद में कई तरह की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है, जैसे मेडिकल टेस्ट, कई जगह नोट्स भेजने होते हैं, कई रजिस्टरों में एंट्री करनी पड़ती है. इन सब प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद शव को उनके परिवारवालों को भी सौंपना रहता है. शायद ये भी एक बड़ा कारण है की सूर्योदय से पहले हीं फांसी दे दी जाती है.

फांसी के समय कौन – कौन मौजूद रहता है ?

फांसी देते समय जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट और जल्लाद मौजूद रहते हैं. इनके बिना फांसी नहीं दी जाती है.

फांसी देने से पहले क्या कहता है जल्लाद ?

फांसी देने से पहले अपराधी से उसकी आखरी इच्छा पूछी जाती है. लेकिन उसकी इच्छा जेल मेनुअल के तहत हीं होना चाहिए. फांसी देने से पहले जल्लाद कहता है की मुझे माफ़ कर दिया जाए. हिन्दू भाइयों को राम – राम और मुसलमान भाइयों को सलाम.

फांसी देने के बाद 10 मिनट तक अपराधी को लटके रहने दिया जाता है. उसके बाद डॉक्टरों की टीम ये चेक करती है की कैदी की मौत हुई है या नहीं. मौत की पुष्टि के बाद हीं अपराधी को नीचे उतारा जाता है.

दुनियां भर के ज़्यादातर देश म्रत्युदंड को समाप्त कर चुके हैं. तो वहीँ कुछ समाप्त करने की तैयारी में है. भारत सहित 37 हीं ऐसे देश हैं, जहाँ पिछले कई सालों से फांसी दी जाती रही है. लेकिन भारत में केवल जघन्य अपराध के लिए हीं फांसी की सजा दी जाती है. जबकि अपराधियों को फांसी की सजा देने में चीन सबसे आगे है. वही ईरान में तो फांसी खुल्ले में हीं दे दी आती है.