सवाल आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नहीं, देश का है.
इसलिए भारत का एक जिम्मेंदार नागरिक और देश प्रेमी होने के नाते हम सबका यह कर्तव्य बनता है कि कालेधन के खिलाफ प्रधानमंत्री की मुहिम का न केवल समर्थन करे बल्कि उसमें सहयोग भी करे.
क्योंकि कालेधन के खिलाफ जो मुहिम शुरू हुई है अगर वह फेल होती है तो इसबार केवल प्रधानमंत्री मोदी ही फेल नहीं होंगे बल्कि देश भी फेल होगा. काले धन और भ्रष्टाचार को लेकर पिछले कुछ वर्षों से जो लड़ाई चल रही है यह उसका एक निर्णायक मोड़ है. भ्रष्टाचारी और षडयंत्रकारी इसको रोकने के लिए हर दांव चल रहे हैं और आगे भी चलेंगे.
लिहाजा, ये परीक्षा की भी घड़ी है, क्योंकि इसबार कालेधन के खिलाफ इस जंग में यदि जनता हारती है तो आने वाले समय में नरेंद्र मोदी के बाद जो भी अगला प्रधानमंत्री आएगा वह जल्दी से कालेधन के खिलाफ और भ्रष्टाचार पर कठोर निर्णय लेने का साहस नहीं जुटा पाएगा. इसलिए भ्रष्टाचार के विरूद्ध इस मुश्किल जंग में लोगों को देश के साथ खड़ा होना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने देशवासियों से केवल 50 दिन मांगे हैं, पूरा जीवन नहीं.
देश निमार्ण के इस पवित्र यज्ञ में अगर कुछ घंटे होम करने पड़े तो हमें पीछे नहीं चाहिए. यह सच्चाई है कि इस समय लोगों को अत्याधिक कठिनाई से गुजरना पड़ रहा है. लेकिन सोचों अगर हमें पुराने नोट बदलने में इतनी परेशानी हो रही है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश की भ्रष्ट और सड़ी गली व्यवस्था को बदलने में कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा होगा.
आज यह भी सोचने का विषय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने काले धन और उसके काले कारोबारियों पर जो प्रहार किया है उसका उन्हें कितना बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. लेकिन उन्होंने इसकी परवाह न करते हुए भी देश और उसके सवा सौ करोड़ नागरिकों के लिए जोखिम उठाया है.
मोदी चाहते तो जैसे सिस्टम चल रहा है उसे वैसे भी चलने देते. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
देशवासियों से चुनाव के दौरान किए वादे को पूरा करने के लिए उन्होंने काला धन समाप्त करने के लिए 500 और 1000 के पुराने नोटों को बंद कर दिया. इसके चलते लोगों को काफी कठिनाई भी हो रही है. लेकिन यदि इससे घबराकर या डर कर प्रधानमंत्री पीछे हट जाते तो देश के करोड़ों लोगों की उस उम्मीद पर पानी फिर जाता जिसके लिए उन्होंने नरेंद्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री चुना था.
इसलिए आज देश के लिए मुश्किल समय है.
हमे इस संकट की घड़ी में देश और प्रधानमंत्री का साथ देना चाहिए. हमें यह सोच लेना चाहिए कि देश के दुश्मनों से लड़ने के लिए हमें देश के लिए सीमा पर खड़े होकर जंग का मौका नहीं मिला तो क्या हुआ?
भगवान ने हमें देश के भीतर बैठे दुश्मनों से लड़ने का एक सुनहरा मौका दिया. इसको हमें बेकार नहीं जाने देना है.
इसलिए भ्रष्टाचार के विरूद्ध इस लड़ाई में हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नहीं तो कम से कम देश के साथ तो खड़े हो सकते हैं.