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इन दो मुस्लिम देशों की तनातनी में कैसे होने वाली है भारत की चांदी

पेट्रोलियम पदार्थो

सऊदी अरब ने अपने धुर विरोधी ईरान को चेतावनी दी है कि उसने पेट्रोलियम पदार्थों के उत्पादन पर रोक न लगायी तो वो भी अपना उत्पादन बढ़ा देगा।

यदि ऐसा हुआ तो इससे भारत की चांदी हो जाएगी।

सऊदी अरब ने चेतावनी दी है कि वो ईरान को झुकाने के लिए 12 मिलियन प्रतिदिन के हिसाब से पेट्रोलियम पदार्थो का उत्पादन करेगा और तेल के दामों को धरातल पर गिरा देगा।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत अपनी आय का एक बहुत बड़ा हिस्सा अपनी उर्जा जरूरतों को पूरा करने में खर्च करता है। देश को होने वाले व्यापार घाटे में पेट्रोलियम पदार्थो की आयात का बहुत बड़ा हिस्सा होता हैं। इस पर करीब 7.5 लाख करोड़ रुपए तक खर्च होता है। जनवरी 2015 के दौरान भारत का व्यापार घाटा 8.32 अरब डॉलर था।

तेल उत्पादक देशों के संघटन ओपेक के अनुसार सऊदी अरब और ईरान सीरिया और यमन में एक दूसरे के खिलाफ प्रोक्सी वार में उलझे हुए हैं। जिसका असर तेल बाजार पर पड़ रहा है। ओपेक का कहना है कि ईरान और सऊदी अरब के बीच यह तना-तनी पिछली मीटिंग के दौरान हूई थी, जिसमें सऊदी अरब ने चेतावनी दी है कि वो ईरान को झुकाने के लिए पेट्रोलियम पदार्थो का उत्पादन बढ़ाकर तेल के दामों को जमीन पर ला देगा।

सऊदी अरब यदि ऐसा करता है तो इससे एक बार फिर तेल के अंतर्राष्ट्रीय बाजार में फिर से गला काट प्रतिस्पर्धा से तेल की कीमते कम हो जाएंगी। अगर ऐसा होता है तो भारत को इसका सीधा मिलेगा। भारत फिलहाल करीब 4.5 लाख करोड़ रुपए कच्चे तेल के आयात पर खर्च करता है। लेकिन जिस प्रकार बीते कुछ वक्त से कच्चे तेल के दामों वैश्विक स्तर पर कमी हुई हैं उसका भारत को लाभ मिला हैं।

ऊर्जा संसाधनों से सम्पन्न सऊदी अरब भारत का सबसे बड़ा कच्चे तेल का आपूर्तिकर्ता है और कुल आयात के 20 प्रतिशत जरूरतों को पूरा करता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का कहना है कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की नरमी ने भारत को जबरदस्त अप्रत्याशित लाभ प्राप्त हुआ है। इससे इसने देश को सामान एवं सेवाओं पर अधिक खर्च करने का अवसर प्रदान किया है तथा महंगाई भी घटी है।

लेकिन इन सब के बीच अब सरकार इससे अलग एक अन्य रणनीति पर भी काम कर रही है।

सरकार पेट्रोलियम पदार्थो का आयात कम करने के लिए एथेनॉल, मेथेलॉल और बायो सीएनजी के विकल्पों पर ज्यादा ध्यान दे रही है। क्योंकि सरकार का मानना है कि तेल उत्पादक देशों की प्रतिस्पर्धा के भरोंसे देश का विकास के बजाए अपने दम पर भी तैयारी की जाए।

अफगानिस्तान के बाद अमेरिका ने रूस या ईरान की अर्थव्यवस्था कमजोर करने के लिए तेल की कीमत आधी कर उनकी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया है। रूस जो अब तक क्रिमीआ व् उक्रेन पर अपनी विजय पताका फिराना चाहता था वह अचानक तीन साल मैं कर्जों मैं जाने के लिए मजबूर हो गया है। यही हाल सऊदी अरब ईरान का करना चाहता हैं। सऊदी अरब ईरान को अपना दुश्मन मानता है।

लेकिन तेल के इस खेल को लेकर सऊदी अरब और ईरान के बीच जारी जंग का लाभ भारत को होने जा रहा है।