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रूस के इन क़दमों से दहशत में है अमेरिका और इंग्लैंड !

राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन

रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन एक के बाद एक ऐसे कदम उठा रहे हैं कि जिससे दुनिया की नंबर एक ताकत अमेरिका और ब्रिटेन की नींद उड़ी हुई है।

हाल में रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन द्वारा अमेरिका के साथ प्लूटोनियम नष्ट करने संबंधी समझौते को नष्ट करने वाले समझौते को तोड़ने के लिए एक विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए है।

ऐसा लगता है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन ने अमरीका को चेतावनी देने के लिए पारस्परिक समझौता निरस्त किया है। रूस अमरीका को यह बता देना चाहता है कि वह किसी गलतफहमी में न रहे।

वहीं ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई -5 के प्रमुख एंड्रयू पार्कर ने रूस को लेकर आगाह किया है कि रूस पश्चिमी देशों के विरोध में, आक्रामक तरीकों को तेजी से बढ़ाते हुए और नई प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करते हुए काम कर रहा है। गौरतलब है कि रूस सीरिया को लेकर पहले ही फ्रांस को धमका चुका है। उसने अपनी सीमा पर फ्रांस की ओर टारगेट कर परमाणु मिसाइल तैनात भी कर दी है।

राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन

यूक्रेन संकट और सीरिया संकट ऐसे कई मुद्दे हैं जिनको लेकर रूस और अमेरिका के बीच गहरा मतभेद है।

एक ओर अमेरिका के साथ पश्चिमी देश और नाटो सेना है तो दूसरी ओर रूस चीन को लेकर मोर्चेबंदी में जुटा है। पुतिन अपने आक्रामक निर्णयों के जरिए अमेरिका और पश्चिमी देशों को ये संकेत देना चाहते है कि मास्को पूरी दृढ़ता के साथ पश्चिम एशिया में उनकी विस्तारवादी मांगों का मुकाबला करेगा और रूस की सीमाओं के निकट वह नाटो के सैनिक विस्तार को हरगिज सहन नहीं करेगा।

दरअसल, रूस और अमरीका के बीच परमाणु हथियार में उपयोग होने योग्य प्लूटोनियम नष्ट करने का समझौता वर्ष 2000 में हुआ था। वर्ष 2010 से इस समझौते पर अमल शुरू हुआ। यह समझौता रूस और अमेरिका के बीच सहयोग का एक प्रतीक था लेकिन अब जब यह समझौता समाप्त हो गया है तो परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ने की आशंका है। साथ ही यह भी संभावना है कि दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ता जाएगा।

यदि ये तनाव का दौर लबां चला तो स्थिति हाथ से निकल सकता है। दुनिया की ये दो महाशक्ति एक बार फिर शीत युद्ध वाले दौर में चले जाएंगे।

वहीं रूस की अमेरिका के साथ ही नहीं बल्कि उसके सहयोगी देश ब्रिटेन के साथ भी उसकी तकरार लगातार बढ़ती जा रही है। ब्रिटिश को लगता है कि कि रूस जिस प्रकार आक्रामक नीति अपना रहा है उससे ब्रिटेन की स्थिरता के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

ब्रिटिश खुफिया एजेंसी के प्रमुख ने आगाह किया है कि ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया का सबसे ज्यादा ध्यान इस्लामिक उग्रवाद पर है, तो रूस पश्चिमी देशों के विरोध में अपनी विदेश नीति बढ़ाने के लिए आक्रामक तरीकों का प्रयोग कर रहा है वह आने वाले समय में उनके लिए संकट खड़ा कर सकता है।