भारत को जितना खतरा आतंकियों के अब्बाओं से है उतना आतंकवादियों से भी नहीं है।
देश में आतंकियों के अब्बाओं की जो लिस्ट है उसमें दिग्विजय सिंह और अरविंद केजरीवाल के बाद एक नाम असद्दुदीन ओवैसी का भी है।
नए नए अब्बा बने ओवैसी को लगता है कि भारत में यदि राजनीति करनी है तो उसका सबसे आसान और सरल तरीका है कि जब भी पुलिस किसी आतंकवादी को मारे तो तुरंत उसे धर्म से जोड़ दो। मुस्लिमों को संदेश दो कि पुलिस आतंक के नाम पर केवल बेगुनाह मुस्लिमों को कत्ल करती है।
यही वजह है कि एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भोपाल सेंट्रल जेल से भागे सिमी आतंकियों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की जांच की मांग की है। आतंकियों का पुलिस के हाथों मारा जाना ओवैसी को न तो तर्कसंगत लग रह है और न ही एनकाउंटर उनके गले उतर रहा है।
पुलिस द्वारा कश्मीर के पत्थरबाजों पर पैलेट गन चलाए का विरोध कर चुके ओवैसी चाहते हैं कि भोपाल सेंट्रल जेल से भागे सिमी के जिन 8 सपोलों को मध्य प्रदेश पुलिस ने एक एनकांउटर में मार दिया है उसकी सुप्रीम कोर्ट को जांच करनी चाहिए।
ओवैसी का तर्क है कि जेल से फरार कैदी अच्छी तरह से कपड़े पहने हो यह कैसे हो सकते हैं? उनके पास तो हथियार भी नहीं थे, वो सिर्फ कुछ धातु की चीजें लिए हुए थे जो हथियार थे। तो फिर पुलिस पर वे कैसे हमला कर सकते हैं।
एनकांउटर की सुप्रीम कोर्ट से जांच कराने से पहले क्या ओवैसी ने कभी यह मांग भी की है कि सरकार या सुप्रीम कोर्ट को इस बात की जांच करनी चाहिए जेल से भागने के बाद इन आतंकियों को शरण कौन देता था, किन किन धार्मिक स्थलों ने इन्हें अपने यहां पनाह दी। इनके पास पैसा कहां से और हथियार कहां से आते थे। सिमी के ये मासूम आतंकी बम और बंदूके लेकर देश में कौन सा शांति का राज्य कायम करना चाहते थे ओवैसी एक बार इसकी भी जांच करा ले तो बेहतर होगा।
आतंकी आजमगढ़ का हो या खंडवा का, असद्दुदीन ओवैसी को उसमें मुसलमान नजर आता है। लेकिन कभी ओवैसी ने मुस्लिमों के बीच जाकर ये सवाल भी किया है कि आतंकी मुस्लिमों से ही क्यों निकलते हैं।
आतंक और मुसलमान को आतंकवाद से जोड़ने को लेकर ओवैसी और मुस्लिम समाज के लोग अक्सर सवाल करते हैं कि उनके धर्म को आतंक से क्यों जोड़ा जाता है। देश इतने पुलिस एनकाउंटर होते हैं जिसमें दूसरे धर्म के लोग भी मारे जाते हैं। कभी कोई सवाल नहीे करता। लेकिन जैसे ही कोई आतंकी मरता है तो उसे तुरंत धर्म से जोड़ने का काम देश में मौलाना और ओवैसी जैसे लोग करते हैं और फिर उलटे सवाल करते हैं कि आतंक से इस्लाम को जोड़कर उनके मजहब को बदनाम किया जा रहा है।
भारत में आतंक को इस्लाम से जोड़कर बदनाम तो असद्दुदीन ओवैसी, दिग्विजय सिंह और अरविंद केजरीवाल जैसे लोग करते हैं यही वजह है कि आतंकियों को समाज से नैतिक समर्थन मिलता है।
लेकिन ये सियासत अब ज्यादा दिन चलने वाली नहीं है। देश इसके विरोध में खड़ा हो रहा है।
भारत के खिलाफ आतंक की इस जंग में यंगिस्थान देश और सुरक्षा बलों के साथ खड़ा है। यंगिस्थान भारत ही नहीं दुनिया के किसी भी कोने में आतंक ओर आतंकवादियों के खिलाफ चलने वाली लड़ाई में मानवता के साथ खड़ा है और देश द्रोहियों के आगे अपने जवानों का मनोबल नहीं गिरने देगा।