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जानिए उस रात भारतीय एजेंसियों ने अस्पताल से कैसे भगाया था छोटा राजन को

अंडरवर्ल्ड डाॅन छोटा राजन

उस रात यदि भारतीय खुफियां एजेंसी अंडरवर्ल्ड डाॅन छोटा राजन को बैंकाक के अस्पताल से नहीं भगाती तो आज शायद राजन जीवित नहीं होता. वह दाऊद इब्राहिमके शूटरों द्वारा मार दिया जाता.

यह बात है सितंबर 2000 की है.

छोटा राजन बैंकाक के किसी होटल में ठहरा हुआ था. यह खबर जैसे ही दाऊद को मिली, वैसे ही उसने अपने खास गुर्गे शरद शेट्टी को राजन की लोकेशन पता करने के काम पर लगा दिया. शरद शेट्टी ने मुंबई के होटल व्यवसायी विनोद के जरिए राजन के ठिकाने को ट्रैक कर लिया. पता चलते ही दाऊद के दाहिने हाथ छोटा शकील ने अपने शूटरों को बैंकाक के लिए रवाना कर दिया.

शकील के शूटर होटल में अंडरवर्ल्ड डाॅन छोटा राजन के कमरे में पीजा डिलीवरी मैन के रूप में दाखिल होते हैं और उस पर गोलियों की बौछार कर देते हैं. इस हमले में राजन का विश्वस्थशूटर रोहित वर्मा और उसकी पत्नी मारी जाती है लेकिन गोली लगने के बावजूद राजन होटल की छत से कूदकर फरार हो जाता हैं और अगले दिन एक अस्पताल के बैड पर मिलता है.

अंडरवर्ल्ड डाॅन छोटा राजन

रात में दाऊद के लोगों से खबर पाकर मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच भी बैंकाक पहुंच जाती है और राजन को गिरफ्तार करने के लिए अस्पताल के बाहर डेरा डाल देती है. दाऊद भी इस कोशिश में लग जाता है कि किसी भी कीमत पर राजन बचना नहीं चाहिए.

मुंबई पुलिस और दाऊद दोनों ही राजन के पीछे पड़े थे.

लेकिन वहीं दूसरी और राजन के पीछे खड़ी थी भारतीय खुफिया एजेंसी आईबी और राॅ.

उस वक्त केंद्र में भाजपा की सरकार थी और महाराष्ट्र में कांग्रेस की. मुंबईपुलिस की क्राइम ब्रांच बैंकाक प्रशासन से राजन को अपने हवाले करने की मांग कर रही थी. लेकिन बैंकाक प्रशासन राजन को तब तक मुंबई पुलिस को नहीं सौंप सकता था, जबतक कि भारत सरकार का विदेश मंत्रालय राजन के भारतीय होने और वहां उस पर अपराध में शामिल होने के सबूत बैंकाक सरकार के समक्ष न प्रस्तुत कर दे.

वहीं राॅ और आईबी चाहती थी कि राजन किसी भी कीमत पर मुंबई पुलिस और दाऊद के हाथ नहीं लगना चाहिए. ये अपने हैंडलर की हर कीमत पर बचाना चाहते थे. इसलिए भारत सरकार की और से अंडरवर्ल्ड डाॅन छोटा राजन को लेकर कागजी खानापूर्ती के नाम पर टाइम पास किया जा रहा था. ताकि राजन जल्द से चलने फिरने लायक हो जाए.

ऐसा होते ही रात में राजन को अस्पताल के कमरे की खिड़की से एक रस्सी के सहारे फरार कराकर एक गोपनीय और सुरक्षित ठिकाने पर पहुंच दिया. छोटा राजन को बचाने में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का हाथ था यह बात राजन भी स्वीकार करता है लेकिन बचाने वाले का नाम बताने से इंकार कर देता है.

कहा जाता है कि अंडरवर्ल्ड डाॅन छोटा राजन ने आईबी के कहने पर भारत के कई दुश्मनों को ठिकाने लगाया.

नेपाल में जब पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अपने जाल फैलाना शुरू किया तो वहां भारत विरोधी माहौल में एकाएक तेजी आ गई. दाऊद इब्राहिम और आईएसआई ने नेपाल में अपने एक खास दिलशाद मिर्जा बेग को सांसद बनवाने में कामयाब हो गए थे. ये सांसद नेपाल में भारत विरोधी मुहिम छेडे़ हुए था.

ऐसी ही एक मुहिम में उसने भारतीय फिल्म स्टार ऋतिक रोशन के नाम से झूठी अफवाह फैलाकर नेपाल के लोगों को भारत के खिलाफ भड़का दिया. लोग सड़कोपर आकर भारत के खिलाफ नारे बाजी करने के साथ भारतीय फिल्मों का विरोध करने लगे. केबल पर भारतीय फिल्में दिखाने पर बैन लगा दिया.

कहा जाता है कि उसके बाद राजन ने नेपाल में अपने शूटर भेजकर सांसद दिलशाद बेग को मरवा दिया. यही नहीं राजन ने बैंकॉक में हुए हमले का बदला लिया.उसका हवाला कारोबार संभालने वाले उसके भाई रवि और विमल ने 2003 में दुबई के एक क्लब में छोटा शकील के खास शरद शेट्टी की हत्या कर दी थी.

बाबरी मस्जिद विध्वंस हो जाने के बाद दाऊद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी का करीबी हो गया था. यही वो वक्त था जब दाऊद इब्राहीम आईएसआई के इशारे पर मुंबई धमाकों की साजिश रच रहा था. इस साजिश को अंजाम देने के लिए दाऊद को किसी मुस्लिम गुर्गे की जरूरत थी.

इसलिए उसने छोटा राजन को किनारे कर अबु सलेम और मेमन बंधुओं को गिरोह की कई जिम्मेदारियां दे दीं.

वर्ष 1993 में हुए मुंबई बम ब्लास्ट के बाद राजन और दाऊद न केवल अलग हो गया बल्कि उसके बाद दोनों एक-दूसरे के जानी दुश्मन हो गए.

अंडरवर्ल्ड डाॅन छोटा राजन

दोनों भारत छोड़कर विदेश में रहने लगे.

दाऊद आज पाकिस्तानी सेना की कलोनी में हाई सिक्योरिटी जोन में रहता है. जबकि छोटा राजन को वर्ष 2015 में इंडोनेशिया से गिरफ्तार कर भारत लाया जा चुका है. इस गिरफ्तारी के पीछे भारतीय एजेंसियों की भूमिका भी बताई जाती है.

पूर्व गृह सचिव आरके सिंह ने खुलासा किया था कि अटल सरकार के समय दाऊद को मारने के लिए अंडरवर्ल्ड डाॅन छोटा राजन गैंग के लोगों को ट्रेनिंग दी गई थी. इस मिशन को वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल निर्देशित कर रहे थे. दिल्ली के एक होटल में पूरी तैयारी हो चुकी थी. इसी बीच मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम वहां पहुंच गई और उन शूटरों को गिरफ्तार कर लिया.