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चांदनी रात को मिलकर एक दूसरे से विछड़ जाते हैं ये जुड़वा द्वीप !

आप ने चांदनी रात में अक्सर नायक और नायिकाओं के मिलन के किस्से सुने होंगे.

लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि समुद्र में दो द्वीप भी चांदनी रात में एक दूसरे से मिलने चले आते हैं.

अगर अभी तक नहीं सुना, तो हम आप को बताते हैं कि भारत में दो द्वीप ऐसे हैं, जो चांदनी रात में एक दूसरे से मिलने के बाद सुबह बिछड़ जाते हैं.

बंगाल की खाड़ी के दक्षिण में हिन्द महासागर में स्थित इन द्वीपों के नाम है राॅस और स्मिथ द्वीप. राॅस और स्मिथ अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के दो द्वीप हैं.

राॅस और स्मिथ द्वीप

अंडमान एवं निकोबार लगभग 300 छोटे बड़े द्वीपों का समूह है, जिसमें कुछ ही द्वीपों पर आबादी है तो अधिकांश निर्जन. राॅस और स्मिथ द्वीप दो जुड़वा द्वीप है. इन दोनों द्वीपों के ये नाम दो अंग्रेज अधिकरियों के नाम पर रखे गए है.

सैलानी समुद्र में स्थित राॅस द्वीप से पैदल चलकर स्मिथ द्वीप पहुंच जाते हैं. बता दें कि इन दोनों द्वीपों को रेत की एक छोटी सी पटरीनुमा पगडंडी अलग करती है. यही सेंड बार इन दोनों द्वीपों के बीच विभाजक रेखा का काम करती है जिस पर चलकर सैलानी उक द्वीप से दूसरे द्वीप पर आसानी से आ जा सकते हैं.

लेकिन जब पूर्णिमा की चांदनी रात होती है तो समुद्र में ज्वार आतें हैं जिस कारण समुंद्र में ऊंची ऊंची लहरे उठती है और उसका जल स्तर बढ़ जाता है. उस दौरान दोनों द्वीपों के तट पर इतना पानी जमा हो जाता है कि रेत पानी में डूब जाती है. उस समय राॅस और स्मिथ आपस में एक दूसरे से मिल जाते हैं. लेकिन जैसे ही सुबह होती है दोनों फिर अलग अलग हो जाते हैं.

आप को बता दे कि अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह पर आने वाले सबसे अधिक पर्यटक राॅस और स्मिथ द्वीप पर ही आते हैं.

राॅस और स्मिथ द्वीप ब्रिटिश वास्तुशिल्प के खंडहरों के लिए भी प्रसिद्ध है. ये द्वीप कई सौ एकड़ में फैले हुए है. सुबह के समय यहां काफी पक्षी आते हैं जिस कारण यह द्वीप पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है.

गौरतलब है कि ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेज अधिकारी अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह का प्रयोग स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में अपनी दमन की नीति के अंतर्गत क्रांतिकारियों को भारत से दूर जेल में रखने के लिये करते थे.

इसी कारण से यह आंदोलनकारियों के मध्य कालापानी के नाम से जाना जाता था.

इसके लिये अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में एक अलग जेल सेल्यूलर जेल का निर्माण किया गया जो ब्रिटिश काल में भारत के लिये साइबेरिया की तरह माना जाता था.