एक कथा के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था.
देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं जिससे देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं जिसकी वजह से इनका नाम गौरी पड़ गया था.
नवरात्रे के आठवे दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है.
माता की विशेषता है कि माँ महागौरी भक्तों की झोली कभी खाली नहीं रखती है. जिन लोगों के संतान नहीं है माँ खास उनको संतान सुख का आशीर्वाद देती हैं और ऐसी तकदीर भी बना देती हैं जिसको कोई नहीं बना पाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि माँ महागौरी की पूजा करने से और ध्यान लगाने से व्यक्ति के पूर्व जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं. अब इससे बड़ी माँ महागौरी की रहमत और क्या हो सकती है कि माँ की कृपा से पूर्व जन्म के पाप भी नष्ट हो जाएँ. तो आइये जानते हैं कि इस दिन माता की पूजा किस तरह से करनी चाहिए-
माँ महागौरी की पूजा विधि
माता के स्वरुप को साफ़ करें.
माता की चौकी से माता के पूर्व स्वरुप को उठायें और पहले चौकी को गंगाजल से साफ़ किया जाए. इसके बाद माता महागौरी के स्वरुप को रखें और माता की साज-सज्जा करें. कंडी जलायें और उसमें कपूर-घी की मदद से अग्नि ज्वलित करें. माता की पूजा के प्रारंभ में ही आप माँ को अपनी समस्या बता दें. माँ महागौरी से बात करने में कभी भी झिझके नहीं. माता के साथ आप अपनी सब समस्या बाँट सकते हैं. इसके बाद घी का दीया माँ के सामने जलाएं. तब सबसे पहले गणेश जी की आरती करें और उसके बाद आप माँ महागौरी की आरती करें.
आप अगर माँ के सामने आसन पर बैठकर अपनी कोई तीन बुराई छोड़ने का प्रण लेते हैं तो उसके बदले में माता भी आपको तीन वरदान देती हैं. नवरात्रे में बुराई छोडकर अच्छाई का हाथ पकड़ने से व्यक्ति को काफी अच्छा फल प्राप्त होता है.
माता की पूजा करने के बाद भक्त को आसन पर बैठे-बैठे ही माँ का ध्यान करना होता है. उसके लिए आपको माता के आसान से मन्त्र को कम से कम 108 बार सुबह-शाम जपकर उसको सिद्ध करना होता है. अब आपके पास सुबह समय नहीं है तो आप शाम को भी माता का जाप कर सकते हैं.
ध्यान मन्त्र है-
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
आपको यह मन्त्र कम से कम 108 बार जपना ही है.
जब इस मन्त्र को आप जपे तो आपके ध्यान में बस माता का स्वरुप होना चाइये. आप बाकी सभी इच्छाओं को त्याग दें. अपनी परेशानी को आप पहले ही माँ महागौरी को बता चुके हैं इसलिए आप बस माँ का ध्यान करें.
इस तरह से माँ महागौरी का ध्यान करने पर भक्त के सभी दुःख माता खत्म कर, अपने भक्त को खुशियों से मालामाल कर देती हैं.