राहुल गांधी और सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब वह मौत के सौदागर से खून की दलाली पर ऊतर आई है.
लोक सभा चुनावों के बाद सदमें में चल रही कांग्रेस को जिस प्रकार चुनावी झटके लगे हैं उसको देखकर लगता है कि उसका असर अब नेताओं की जुबान पर भी होने लगा है.
राहुल गांधी किसानों की बात करते करते जवानों आकर मुद्दे से ही भटक गए. बौखलाहट में वे शब्दों की मर्यादा भूल गए. आपको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेना के खून की दलाली करने वाले नजर आने लगे.
राहुल जी ये देश जानता है कि बोफोर्स में दलाली किसने ली.
रक्षा सौदो का दलाल क्वात्रोकी किसका मामा था.
सेना के जीप घोटाले में दलाली करने वाला किसका रिस्तेदार था.
अस्तावेस्टलैंड की दलाली में जिनका नाम आ रहा है वे आपकी कौन लगती है.
शायद आप भूल रहे हैं लेकिन देश जानता है.
राहुल गांधी का यह कहना कि प्रधानमंत्री सेना के पीछे छुपकर राजनीति कर रहे हैं बताता है कि कांग्रेस राजनीति प्रतिशोध के लिए इस हद तक गिर गई है कि उसको अब सेना के मनोबल गिराने से भी उसको परहेज नहीं है.
सेना की सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर जिस प्रकार कांग्रेसी नेताओं और विपक्ष के बयान आ रहे हैं उसको देखकर लगता है कि बमों के कुछ छर्रें हमारे देश के नेताओं को भी लगे हैं. ऐसा लगता है कि दुश्मन सीमा के उस पार ही नहीं बल्कि इस ओर भी बैठें हैं.
राहुल जी अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश या सेना के साथ कोई धोखा किया होगा तो ये देश उनको भी कठघरे में खड़ा करने से भी पीछे नहीं हटेगा. लेकिन राजनीतिक द्वेष के लिए आप देश की राजनीति को जिस ओर ले जा रहे हैं उसका परिणाम कितना घातक होगा इसका अभी आपको अंदाजा भी नहीं है.
राहुल गांधी, कांग्रेस पार्टी और विपक्ष के मन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए नफरत हो सकती है लेकिन उसकी आड़ लेकर सेना को जिस प्रकार बदनाम किया जा रहा है वह दर्शाता है कि सत्ता के लिए ये लोग सेना और देश को बदनाम करने से भी नहीं हिचक रहे हैं.