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केजरीवाल और निरुपम – तुम लोग अपनी पाकिस्तानी जुबान को लगाम दो !

सर्जिकल स्ट्राइक पर शक

बुलंदी का नशा संतों के जादू तोड़ देती है, हवा उड़ते हुए पंछी के बाज़ू तोड़ देती है !

सियासी भेड़ियों थोड़ी बहुत गैरत ज़रूरी है, तवायफ तक किसी मौके पे घुंघरू तोड़ देती है!!

तुफैल चतुर्वेदी की ये लाइन भारत के उन नेताओं पर बहुत सटीक बैठती है जिन्हें भारती सेना की सर्जिकल स्ट्राइक पर शक है और इनका शक दूर करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को इसके सबूत पेश करने चाहिए.

भारतीय सेना दुश्मन के इलाके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करती है. आतंकी अड्डों को तबाह करके आतंकवादियों को मौत की नींद सुला देती है. पूरा देश इस पर गर्व करता है. किसी को भारतीय सेना की काबलियत पर शक नहीं होता. लेकिन देश में अरविंद केजरीवाल, पी चिदंबरम, संजय निरूपम और आशुतोष जैसे कुछ ऐसे भी नेता है जिन्हें सेना की सर्जिकल स्ट्राइक पर शक है और उनको उसका सबूत चाहिए.

उन्हें अभी भी सर्जिकल स्ट्राइक पर शक और भारतीय सेना की क्षमता पर यकीन नहीं हो रहा है.

इन नेताओं के लिए तो पाकिस्तान का मीडिया और वहां की सरकार के बयान ही अहले हदीस है. उनके अलावा ये किसी और पर विश्वास ही नहीं कर सकते हैं.

पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाकर पाक के मन की बात करने वाले ये भारतीय नेता सेना की छवि को दांव पर लगा कर वोट बैंक का कितना घिनौना खेल खेल रहे हैं इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि भारत के आतंक के खिलाफ एक्शन को इन्होंने वोटों से जोड़ दिया है.

यह बात सब जानते है कि इस साहसिक निर्णय के बाद हर तरफ प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ हो रही है. इससे इनको लगता है कि कहीं भाजपा आगामी विधान सभा चुनावों में इसका राजनीतिक लाभ न उठा ले इससे पहले मोदी को ही कठघरे में खड़ा कर उनकी छवि को दागदार कर दो. ये नेता भलिभांति जानते है कि भारत सरकार और सेना अपनी कार्रवाई को उजागर नहीं करना चाहती है.

क्योंकि इन्हें सार्वजानिक करने से दुश्मन न सिर्फ भारत सेना की कार्रवाई करने के तरीकों से वाकिफ हो जाएगा बल्कि पैरा कमांडो की क्षमताओं और कमजोरी को परख लेगा.

ये नेता आज अपने बयानों से पाकिस्तानी मीडिया में हीरों बने हुए हैं.

भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाक सेना और सरकार बैक फुट पर थी. पाकिस्तानी सरकार और सेना भले ही भारत के हमले को खुलेआम न स्वीकार कर रहे हों लेकिन अमेरिका और फ्रांस सरकारों के बयानों के बाद उनके ऊपर भारत के दावों को नकाराने के लिए सबूत दिखाने का एक दवाब था. दोनों पर पाकिस्तान की जनता का दवाब बढ़ रहा था.

यही कारण था कि पाक सेना अपनी मौजूदगी में कुछ विदेशी पत्रकारों को पीओके लेकर भी गई. लेकिन भारत के इन नेताओं की करतूत से पाकिस्तानी सरकार और सेना को अपने लोगों को यह कहने का मौका मिल गया कि भारतीय सेना के दावों पर भारत के विपक्षी दलों को ही भरोसा नहीं है. इसलिए भारत के दावे खोखले हैं.

सवाल है कि इन नेताओं को सर्जिकल स्ट्राइक पर शक क्यों है – पाकिस्तान के झूठे प्रोपेगैंडा पर इतना विश्वास क्यों हैं. ये नेता वहीं मांग क्यों कर रहे हैं जो पाकिस्तान कर रहा है. पाक के मन की बात बोलकर ये नेता क्या हासिल करना चाहते हैं. कश्मीर जैसे मामले में पाकिस्तान इन फुटेज का प्रयोग भविष्य में बदली भू राजनितिक परिस्थितियों में अंतराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ एक हथियार के रूप में भी कर सकता है.

जिस पाकिस्तान ने आज तक यह स्वीकार नहीं किया कि उसके यहां आतंकवादी ट्रेनिंग कैंप हैं, उस पाक के झूठे प्रोपेगैंडा को बेनकाब करने के लिए आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा आशुतोष को सेना के आॅपरेशन के सबूत चाहिए.

पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम और संजय निरूपम को प्रधानमंत्री नरेंद्र पर विश्वास नहीं है इसलिए उनकी नजरों में एलओसी के पार सेना की सर्जिकल स्ट्राइक फर्जी है. इनको लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने राजनीति फायदे के लिए सेना की सर्जिकल स्ट्राइक की फर्जी खबर चलाई है.

दरअसल, ये नेता मोदी विरोध की राजनीति में इस हद तक नीचे गिर चुके हैं कि नीचता की सभी सीमा रेखाए लांग गए हैं. इससे साबित होता है कि मोदी पर हमला करने का मौका मिले तो ये नेता सेना और देश को भी नीचा दिखाने से भी नहीं चूकेंगे. वोट बैंक की राजनीति और सत्ता के लालच में आज स्थिति यहां तक आ गई है कि इनको सेना पर सवाल खड़े करने से भी डर नहीं लगता है. इन्हें वोटों के आगे भारत की कूटनीति और सैन्य गोपनीयता भी समझ नहीं आ रही है.