जब हमारे घर में सब्जियां खत्म हो जाती हैं तो हम थैला उठाकर सब्जी मंडी की ओर चल देते हैं और वहां से अपनी जरूरत की सब्जियां लेकर घर चले आते हैं.
फलों और सब्जियों के अंदर कितनी मिलावट होती है इसका हमें पता ही नहीं होता क्योंकि उन पर न तो लिखा होता और न ही हमें सब्जी वाला ही बताता है कि उससें कौन कौन से खकरनाक कीटनाशक मिले हैं. फलों बौर सब्जियों के नाम पर हम बाजार से जहर उठाकर अपने घर ले आते हैं.
लेकिन इसके विरूद्ध मुहिम छेड़ी है केरल की एक युवा महिला आईएएस अधिकारी टी वी अनुपमा ने.
राज्य में फूड सेफ्टी कमिश्नर के पद पर कार्यरत टी वी अनुपमा ने अपने मात्र 15 महीनों के कार्यकाल में सब्जी और फलों के मिलावटखोरों के विरूद्ध ऐसा डंडा चलाया है कि अब मिलावटखोर उनका नाम सुनते ही थर-थर कांपने लगते हैं.
दरअसल, फलों और सब्जियों से खरीदारी करते वक्त हम जरा भी गौर नहीं करते हैं कि जो सामान हम खरीद रहे हैं वह हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है. ऐसा कर हम अपने स्वास्थ्य से कितना बड़ा खिलवाड़ करते हैं इसका हमें जरा भी अंदाजा नहीं होता.
मिलावट के खिलाफ टी वी अनुपमा ने पूरे केरल में एक बड़ा अभियान छेड़ा हुआ है. मंडियों में छापेमारी कर फलों और सब्जियों के नमूने इक्कट्ठे किये और जांच के लिए लैब भेजा. जांच में पाया कि इनमें से कई नमूनों में कीटनाशको की मात्रा तीन सौ प्रतिशत तक है. आम आदमी के स्वास्थ्य से हो रहे इस खिलवाड़ को देखकर वो हैरान रह गयीं।
इसके बार उन्होंने मिलावटखोरों के खिलाफ एक ऐसी जंग छेड़ की कि सब्जियों के बाजार में लगे बड़े बड़े ब्रांड्स को भी नहीं बक्शा. एक बड़े ब्रांड के उत्पादों में इतनी अधिक मिलावट थी कि टी वी अनुपमा ने उसका बोरिया बिस्तर समेटवाकर दुकान ही नहीं बल्कि उस ब्रांड को ही प्रतिबंधित कर दिया.
15 महीनों के अपने कार्यकाल के अंदर इस दंबग ईमानदार महिला अधिकारी ने 6 हजार से अधिक नमूने इकट्ठे करके सबकी जांच करवाई और मिलावट का पता चलते ही 750 मिलावटखोर व्यापारियों पर मुकदमे ठोक दिए.
कानून का ठंडा चला तो करोड़ों रुपये के काले कारोबारी रातोंरात बाजार से गायब हो गए.
लेकिन ये समस्या का समाधान नहीं है यह बात टी वी अनुपमा जानती थी. लिहाजा, अनुपमा नें इसके लिए आम लोगों से अपने घर पर ही सब्जियां उगाने की न केवल अपील की बल्कि उनको प्रेरित भी किया.
जिससे प्रभावित होकर केरल मे लोगों ने अब घर पर ही सब्जियां उगाना भी शुरू कर दिया है. सब्जियों के लिए अपने पड़ोसी राज्य कर्नाटक आदि पर निर्भर केरल अब बहुत कम मात्रा में पड़ोसी राज्यों से सब्जियों को मंगाता है. केरल में सब्जियों के मामले में लोग आत्मनिर्भर हो रहे हैं. अब सरकार भी लोगों को घरों में ही अपनी जरूरत की सब्जियों उगाने के लिए लोगों को प्रेरित कर रही है।
वह दिन दूर नहीं जब केरल में लोगों को इंजेक्शन के द्वारा कीटनाशकों का प्रयोग कर पकाए गए फलों और सब्जियों को खाने से आजादी मिल जाएगी.