मैदान चाहे क्रिकेट का हो या सियासत का, क्रिकेट ओपनर रहे नवजोत सिंह सिद्धू को न केवल ओपनिंग करना पसंद है बल्कि आगे बढ़कर छक्कें चैके लगाना भी बाखूबी आता है.
यही वजह है कि चाहे भाजपा हो या आम आदमी पार्टी, जब कभी उनको खुलकर खेलने से रोकने की कोशिश हुई तो सिद्धू बाहर निकले और शुरू कर दिए सामने वाले के धुर्रे उड़ाने.
ऐसा ही हुआ जब केजरीवाल ने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब के सियासी मैदान में शतक से वचिंत करने के लिए उनसे न केवल बल्ला छीन लिया बल्कि अपनी टीम में शामिल करने से मना कर दिया. लेकिन हर हाल में ओपनिंग करने की जिद पर अड़े हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने आवाज-ए-पंजाब नामक फ्रंट बनाकर केजरीवाल को बैकफुट पर ला दिया है.
राजनीति के मैदान में सिद्धू के पैड बांधने के बाद सबसे बड़ा झटका केजरीवाल को ही लगा है.
पंजाब में आम आदमी पार्टी – आप के अमृतसर जोन के प्रभारी गुरिंदर सिंह बाजवा समेत पार्टी के 86 विभिन्न पदाधिकारियों ने अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया है. त्यागपत्र देने वालों में पांच राज्यस्तरीय पदाधिकारी भी हैं. इस्तीफा देने वालों में 11 विभिन्न विंगों के जोनल इंचार्ज, 34 सेक्टर इंचार्ज है व 36 सर्कल इंचार्ज भी शामिल हैं. यही नहीं सभी 13 जोनों के वरिष्ठ पदाधिकारियों के अपने पदों से त्याग पत्र देकर सिद्धू के आवाज-ए-पंजाब फ्रंट से जुड़ने की बात चल रही है.
खार खाए नवजोत सिंह सिद्धू केजरीवाल की पार्टी के सभी बेहतरीन खिलाड़ियों को तोड़कर आवाज-ए-पंजाब फ्रंट से जोड़ना चाहते हैं.
भाजपा छोड़ने से पहले आम आदमी पार्टी ने सिद्धू को अपने दूतों के माध्यम से संकेत दिया था कि अगर वह भाजपा से त्यागपत्र देते हैं तो उनको आप ज्वाइन कराकर पंजाब की कमान सौंपी जाएगी. यानी वे ही पंजाब में आप के मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे.
लेकिन जैसे ही सिद्धू ने भाजपा की राज्य सभा सदस्यता से त्याग पत्र दिया केजरीवाल और उनकी पार्टी ने अपना असली रूप दिखाना शुरू कर दिया. संकेतों में सिद्धू को बता दिया गया मुख्यमंत्री का पद तो दूर विधायक के टिकट के लिए भी पार्टी विचार करेगी.
उस वक्त आप के पंजाब कन्वीनर छोटे सिंह सुच्चापुर ने कहा था कि विधानसभा चुनाव में पार्टी नवजोत सिंह सिद्धू को अपना उम्मीदवार नहीं बनाएगी क्योंकि वह एक आपराधिक मामले में दोषी रहे हैं लेकिन सिद्धू की गुगली पर आज सभी नाच रहे हैं.
अब अमृतसर व आनंदपुर साहिब में आप के पूर्व जोनल इंचार्ज गुरिंदर सिंह बाजवा तथा इंजीनियर जेएस धालीवाल कह रहे है कि सिद्धू के मुख्यमंत्री बनने से उन्हें कोई एतराज नहीं है, क्योंकि छोटेपुर कभी भी मुख्यमंत्री पद के लिए नहीं लड़ रहे थे, वे तो पंजाब की सेवा के लिए लड़ रहे थे.
जबकि आम आदमी पार्टी अपने उद्देश्य से भटक गई है.