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सिर्फ 50 रुपये में गले के कैंसर का सस्ता इलाज़ !

गले के कैंसर का सस्ता इलाज़

गले के कैंसर का सस्ता इलाज़ !

वर्तमान समय महंगाई की मात से गुजर रहा है.

आज कल महंगाई इतनी बढ़ गई है कि इंसान के लिए 2 वक्त की रोटी जूटा पाना मुश्किल हो रहा है. इंसान पैसे की लालच में अंधा होकर हर चीज में मिलावट कर रहा है, जिससे कई तरह की बिमारी हो जाती है.

इस महंगाई में गुजर बसर इतना महंगा है कि बड़ी बड़ी बिमारी का इलाज़  करा पाना और भी मुश्किल हो गया हैं. मानवीय स्वार्थ ने इंसानियत खत्म कर दी है और डाक्टरी जैसे सेवा कर्म को भी व्यवसाय में बदल लिया है.

लेकिन एक डॉक्टर ऐसे हैं, जिन्होंने लोगो की जरुरत को समझा, अपने पेशे के सेवा भाव को समझा और गले के कैंसर का सस्ता इलाज़ शुरू किया. 

आइये जानते है किसने शुरू किया गले के कैंसर का सस्ता इलाज़ – 

गले के कैंसर का सस्ता इलाज़ –

  • बैंगलोर में डॉ. विशाल राव द्वारा  एक ऐसे यंत्र की  खोज की गई  है, जिसके द्वारा गले के कैंसर का मरीज सर्जरी के पश्चात्  बोल सकेगा.
  • डॉ. राव ओंकोलोजिस्ट  है जो बैंगलोर के  हेल्थ केयर ग्लोबल (HCG) कैंसर केंद्र में सिर व गले की बीमारियों के विशेषज्ञ है.
  • वैसे तो बाज़ार में गले के प्रोस्थेसीस का मूल्य Rs 15000 से 30000 तक होता है, जिसको हर 6 माह में बदलना ही पड़ता है.
  • परन्तु  डॉ. राव ने  प्रोस्थेसीस का मूल्य मात्र 50  रुपये रखा है.
  • यह  वोइस प्रोस्थेसीस यंत्र सिलिकॉन से बनाया गया  है.
  • जब पीड़ित के इलाज के बाद वोइस बॉक्स पूरी तरह  निकाला दिया  जाता है तो यह उपकरण उस पीड़ित को बोलने में मदद  करता है.
  • सर्जरी के समय  या उसके पश्चात  विंड-पाइप व फ़ूड- पाइप दोनों को अलग कर कुछ जगह बना कर यह यंत्र वहा बीच में लगा दिया जाता है.
  • जब  फेफड़ो से हवा आती है तब वाइस  बॉक्स में कंपन या तरंगे उत्पन्न करती  है, जिससे  प्रोस्थेसीस के द्वारा  फ़ूड पाइप में यह कंपन आवाज़ निकालने में सहायता करता है.
  • गले के कैसर से पीड़ित गरीब मरीजों पैसों की कमी की वजह से यह इलाज़ कराने में असक्षम थे. एक दोस्त की वजह से उनकी जरुरत को समझते हुए डॉक्टर ने इस यंत्र का आविष्कार किया.
  • पहले डॉ. राव गरीबो की मदद के लिए दवाई दूकानो में छुट मांगकर, पैसे जमा करके, और दान देकर मदद करते थे.
  • डॉ. राव को इस यन्त्र का टेक्निकल ज्ञान नहीं था परन्तु उनके मित्र  शशांक – जो उद्योगपति  है – ने डॉ. राव की कल्पना को  हकीकत में परिवर्तित कर दिया. शशांक और  डॉ. राव की आपसी  समझ, सोच, मेहनत और पैसो से इस यंत्र का निर्माण हो सका.
  • HCG के कमिटी ने इस यंत्र का  मरीजो पर इस्तेमाल करने हेतु स्वीकृति दे दी और प्रारंभ में  इस यंत्र को 30 पीड़ित को उपयोग हेतु दिया गया .
  • वोइस प्रोस्थेसीस  देश के बाहर से मंगाने में महंगा पड़ता था लेकिन डॉ. राव और शशांक ने इसका देश में निर्माण कर इस यंत्र का मूल्य न के बराबर कर दिया.
  • इस वाइस बॉक्स से मरीज को आवाज़ मिलती है और डॉ. राव को आत्मिक संतुष्टि.

डॉ. राव द्वारा उठाया गया यह कदम – गले के कैंसर का सस्ता इलाज़ – बेहद सराहनीय है और इस यंत्र की कम कीमत गरीबों के लिए वरदान के सामान है.