उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिंगुल बज चुका है.
सभी पार्टियों ने चुनाव की तैयारियां शुरू भी कर दी हैं. मुख्य पार्टियों के बड़े-बड़े नेता लोगों के बीच जा रहे हैं और अपनी आगामी योजनायें जनता को बताई जा रही हैं. इसके साथ ही चुनाव से पहले के सर्वे भी सामने आने लगे हैं. सर्वों को देख साफ़ लगने लगा है कि इस बार का चुनाव निश्चित रूप से सभी पार्टियों के लिए कड़ा होने वाला है.
तो आज हम आपको एक ऐसे ही उत्तर प्रदेश चुनाव के सर्वे का नतीजा बताने वाले हैं जो बता रहा है कि राज्य की चुनावी तस्वीर बदल रही है.
तो आइये पढ़ते हैं कि उत्तर प्रदेश चुनाव सर्वे क्या बोल रहा है-
खतरे की घंटी किसके लिए हैं
असल में सर्वे की मानें तो कांग्रेस की हवा अब निकलती दिख रही है. या फिर बोल सकते हैं कि आगामी चुनाव में कांग्रेस का पत्ता साफ़ होता हुआ साफ़ दिख रहा है. हाल ही में हुए के सर्वे में दिखाया गया है कि कांग्रेस को कुछ 15 सीट ही प्राप्त हो पाएंगी. यह खबर वाकई कांग्रेस पार्टी के लिए अच्छी नहीं है क्योकि पार्टी उत्तर प्रदेश चुनाव से वापसी की उम्मीद लगा रही है. शीला दीक्षित को प्रमोट किया गया है ताकि यहाँ का ब्राह्मण वर्ग कांग्रेस की तरह चला आये.
सर्वे में अच्छी खबर क्या है?
सर्वे में साफ़ बताया गया है कि 420 सदस्यीय यूपी विधानसभा में समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी. उसे 141 से 151 सीट प्राप्त हो सकती हैं. भाजपा को 124 से 134, बसपा को 103 से 113 सीटें मिल सकती है.
आपको बता दें कि यह सर्वे कुछ 5 हजार लोगों को मिलाकर किया गया है. इस सर्वे में साफ बताया गया है कि इन चुनावों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलेगा. हो सकता है कि इस बार मिली-जुली सरकार का अस्तित्व राज्य में नजर आये.
यंगिस्थान का नजरिया क्या है?
तो अब यंगिस्थान की बात करें तो हमारी नजर में अभी जो दूसरे सर्वे आयेंगे, उनके अन्दर समाजवादी पार्टी नीचे जाते हुए दिखेगी और बसपा ऊपर बढ़ती नजर आएगी. उत्तर प्रदेश चुनाव में इस बार सभी पार्टियों के लिए बीजेपी सबसे बड़ा खतरा बनेगी. कुछ लोग अंदाजा लगा रहे हैं कि बसपा के लिए यह लड़ाई आसान होगी किन्तु इस बार मायावती का इकलौता चेहरा दलित लोगों के वोट तो प्राप्त कर लेगा. किन्तु ऊँची जाति इस बार बीजेपी की तरफ ही आने वाली हैं.
कांग्रेस हो सकता है कि आने वाले सर्वों में अपनी पकड़ मजबूत कर ले. जिस तरह से कांग्रेस चुनाव में प्रचार कर रही है उसको देखकर साफ लगता है कि यह चुनाव पार्टी के लिए इज्जत का सवाल है. वैसे कांग्रेस इन चुनावों में 30 सीट प्राप्त कर ले तो हो सकता है कि बाद में यही सीटें सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाये.
सपा के अन्दर जिस तरह से परिवार की लड़ाई शुरू हुई है, उसको देखकर लगता है कि यह लड़ाई चुनाव में हार की वजह बनेगी.
वैसे भी जनता अखिलेश सरकार के काम से खुश नहीं है. तो कुछ पुराने चुनाव विशेषज्ञ बता रहे हैं कि आपसी लड़ाई दिखाकर हो सकता है मुलायम सिंह, इस बार अखिलेश से अपने दमपर चुनाव लड़ने को बोल रहे हैं. अखिलेश जनता से यह बोल सकते हैं कि मुझे बुजुर्गों ने काम करने नहीं दिया और अब इस बार मुझे वोट दें और मैं प्रदेश की हालत बदल दूंगा.
बहुजन समाजवादी पार्टी के पास मायावती ही एक चेहरा है और यह एक चेहरा बस दलितों के वोट अपने नाम कर सकता है. इस बार जिस तरह से मायावती दलितों की आवाज उठा रही हैं उसको देख बड़ी जाति के लोग गुस्से में हैं और यह लोग मायावती से चुनाव में बदला लेना चाहते हैं.
कुलमिलाकर बीजेपी की बात की जाये तो?
अमित शाह ने गुजरात में अगर मुख्यमंत्री के पद का त्याग किया है तो वह इसीलिए किया है क्योकि यह नेता राज्य में बीजेपी को चुनावी जीत दिला सकता है. नरेन्द्र मोदी के पास अगर कोई व्यक्ति विश्वास योग्य है तो वह अमित शाह ही है. खासकर चुनावी रणनीति बनाने में तो अमित शाह से कोई आगे नहीं है.
अभी उत्तर प्रदेश में पार्टी घर-घर जा रही है और लोगों से बीजेपी को वोट देने की अपील कर रही है. हर व्यक्ति के घर में पार्टी के लोग जा रहे हैं और खासकर संघ के लोग अगर किसी घर पहुँच रहे हैं तो वहां से बीजेपी के लिए वोट भी पक्के बन रहे हैं.
मुसलमान बीजेपी को वोट देंगे, ऐसा मानने की गलती बीजेपी नहीं करेगी.
पार्टी का ध्यान तो ऊँची जाति पर ही है और एक-एक व्यक्ति से वोट करने की अपील की जा रही है. जैसे ही चुनाव पास आएगा तो राम मंदिर लोगों को याद दिलाया जाएगा और जैसे ही हिन्दू ऊँच जाति के घरों में राम नाम लिया जाता है तभी पार्टी के लिए वोट पक्के होने लगते हैं.
निश्चित रूप से बोला जा सकता है कि आने वाले सर्वों में बीजेपी की सरकार बनती हुई देखी जाएगी. साथ ही साथ उत्तर प्रदेश चुनाव में बीजेपी कुछ हैरानी-भरा प्रदर्शन निश्चित रूप से करेगी.
अभी जो उत्तर प्रदेश चुनाव सर्वे बीजेपी को 134 सीटें ही बता रहे हैं. वह आने वाले समय में बीजेपी को 200 तक पहुँचाने का भी काम करेंगे.
उत्तर प्रदेश चुनाव का ऊंट किस करवट पर बैठेगा, इसका सही आंकलन लगाना तो बेहद मुश्किल है.