क्या आप चाहते हैं की आपके बच्चे गे पैदा हों?
नहीं ना?
तो फिर आईये और जानिए ईरान के एक प्रसिद्ध टीवी स्टार और सेलिब्रिटी से की ऐसा कौन सा टोटका अपनाया जाए की आने वाली नस्लें गे पैदा ना हों| लेकिन हाँ, जिन लोगों को अक्ल और साइंस पे भरोसा है, वो कृपया यहाँ दिमाग ना लगाएँ!
हम बात कर रहे हैं ईरान के एक धार्मिक नेता और टीवी पर शादी, गर्भावस्था और पारिवारिक सेहत से सम्बंधित ज्ञान बांटने वाले आयोतोल्लाह होसैन देह्नवी की|
पिछले दिनों इन्होंने अपने टीवी कार्यक्रम में कहा कि पत्नी से सेक्स करते समय अगर पति के दिमाग़ में दूसरी औरतों का ख़याल आता है तो पैदा होने वाला बच्चा गे होगा| वाह वाह, यह तो मानो इस सदी की सबसे बड़ी खोज मानी जायेगी | शुक्र है इन्होंने यह नहीं कहा कि अगर पति के दिमाग़ में कुत्ते-बिल्ली का ख़याल आया तो बच्चे जानवर पैदा होंगे! या फिर अगर कहीं ग़लती से दिमाग़ में कोई फुटबॉल मैच या क्रिेकट मैच का सीन आ गया तो १२-१५ बच्चे एक साथ जन्म लेंगे!
इतना ही नहीं, इनका मानना है कि अगर औरत ने हिजाब ठीक से नहीं पहना तब भी पुरुष गे बन सकते हैं| मतलब कि अगर कहीं किसी औरत ने जल्दबाज़ी में हिजाब ठीक से नहीं पहना और किसी आदमी कि नज़र उस पर पड़ गयी तो उस आदमी का दिल औरतों से उठ जाएगा और उसे सिर्फ मर्द पसंद आने लगेंगे! वैसे यह अच्छा तरीका अच्छा है गली के गुंडों को सबक सिखाने का| हज़ार बार सोचेंगे वो माँ-बहनों को ग़लत निगाह से देखने से पहले!
देह्न्वी साहब इतने तक ही रुक जाते तब भी ठीक था पर उन्होंने तो बीड़ा उठाया है सबके ज्ञान-चक्षु खोलने का|
कहते हैं कि औरत का एक ही काम है: अपने पति की सेक्स की ज़रूरतों को पूरा करना, कहीं भी, कभी भी! जब पति संतुष्ट हो जाए, उसी में ख़ुश रहना ना कि अपनी सेक्स की ज़रूरतों के बारे में सोचना या उन्हें पूरा करने की कोशिश करना| लेकिन हाँ, पति को हफ्ते में दो बार से ज़्यादा सेक्स नहीं करने देना वरना उस बेचारे आदमी का मन ऊब जाएगा| ओह हो, कितना बुरा होगा ना अगर पति का सेक्स करने का मन नहीं हुआ, सारी दुनिया ही पलट जायेगी|
देह्न्वी जी ने तो इतनी रिसर्च तक कर डाली है कि वो यह भी बताते हैं महिलाओं को कि किस रंग का अंडरवियर पहन के वो अपने पति को रिझा सकती हैं| गोरी महिलाएं काला अंडरवियर और काली महिलायें सफ़ेद अंडरवियर पहनें और हाँ, पति को अंडरवियर ज़रूर दिखाएँ, वरना वो सीधा-साधा प्राणी क्या जाने कि सेक्स क्या होता है, कैसे होता है!
इन महानुभाव के बारे में जितना कहा जाए, कम है|
इनकी अपनी सरकार इन्हें बेहतरीन सेहत को प्रोत्साहन देने के पुरूस्कार तक दे चुकी है|
वैसे इनके जैसे दिमाग़ से पैदल पुरुष हमारे देश में भी कम नहीं हैं|
जाने क्यों ये लोग पढ़-लिख के इस तरह की ढकियानूसी और अनपढ़ों जैसी बातें करते हैं?