आज तक आपने यही सुना होगा कि हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है किन्तु आज हम आपको बता रहे हैं कि कामयाब औरत के पीछे आदमी का हाथ होता है.
आपको यह पढ़कर निश्चित रूप से मजा नहीं आ रहा होगा लेकिन क्या आपको पता है ओलंपिक में मेडल जीतने वाली लड़कियों के पीछे भी दो कामयाब आदमियों का हाथ है?
आपको जानकर हैरानी होगी कि यह आदमी इनका पिता नहीं है क्योकि आपकी सोच यही जाकर खत्म हो गयी होगी, जबकि यह आदमी तो कोई और ही हैं.
आइये आज हम इस रहस्य से पर्दा हटाते हैं, औरत के पीछे आदमी का हाथ –
असल में दोनों लड़कियों ने भारत को मेडल दिलाकर भारतीय इतिहास में अपना नाम तो दर्ज करा लिया है किन्तु दोनों का मेडल जीतना अपने गुरुओं के बिना संभव नहीं था.
दोनों ने पिछले काफी समय से जितनी मेहनत की है उस समय में दोनों के कोचों ने भी उतनी ही मेहनत की है. साक्षी मलिक और पीवी सिंधू इस बात को जगजाहिर भी कर चुकी हैं कि कोच की मेहनत के बिना यह होना असंभव था.
वाकई गुरु ने दोनों को जो दावपेंच सिखाये थे वह ओलंपिक में खूब चले हैं.
तो क्या इन कोच को भी याद रखेगा भारत?
कुलदीप मलिक को याद करो –
आपमें से अधिकतर लोगों को तो इनके कोच का नाम भी पता नहीं होगा. वैसे बात ही सही है क्योकि इनके कोच भारतीय क्रिकेट टीम के कोच तो है नहीं. तो आपको बता दें साक्षी मलिक के कोच का नाम कुलदीप मलिक है. कुलदीप ने वैसे एक मेडल का दावा तभी कर दिया था जब टीम ओलंपिक के लिए रवाना हो रही थी. जब साक्षी मैच खेल रही थीं तब पहले हाफ का इनका खेल काफी कमजोर था. तब कुलदीप ने खुद साक्षी को जाकर मेडल की याद दिलाई थी. एक गुरु का फर्ज भी वैसे यही होता है कि जब शिष्य हारने वाला हो तो उसके पास जाए और उसको रामबाण दें. कुलदीप ने उस वक़्त यही किया और उसका परिणाम यह हुआ कि भारत को इस बार ओलंपिक में पहला मेडल इन्होनें ही दिलाया.
अब तैयारी की बात करें तो जिस तरह से साक्षी अपने घर से पिछले काफी समय से अलग है, उसी तरह से कुलदीप मलिक भी अपनी घर से मेडल के लिए अलग हैं. वैसे इस कोच को साक्षी मलिक के अलावा अन्य खिलाड़ियों को भी देखना होता है किन्तु फिर भी गुरु कभी खिलाड़ियों में भेदभाव नहीं करता है.
गुरु गोपी को तो याद रखो –
पीवी सिंधू ने कल मीडिया के सामने अपने कोच गोपीचंद की खुलकर तारीफ़ की है. ऐसा हो भी क्यों ना क्योकि सिंधू ने जो दावपेंच ओलंपिक में इस्तेमाल किये हैं, उनका आविष्कार तो इन्होनें ही किया था. ज्ञात हो कि बैडमिन्टन की दो महान भारतीय खिलाड़ी पीवी सिंधू और साइना नेहवाल गोपीचंद की एकाडमी से ही निकली हैं.
तो इस लिहाज से गोपीचंद वाकई एक महान कोच साबित हो रहे हैं. पीवी सिंधू को कोच ने पिछले समय से काफी कोचिंग दी है. गोपीचंद जानते थे कि कहाँ सिंधू बेस्ट है. और उसका परिणाम यह हुआ है कि आज सिंधू देश में सिल्वर जीतने वाली पहली महिला भारतीय बन गयी हैं.
औरत के पीछे आदमी का हाथ – तो आज यह बोला जा सकता है कि जिस वाह वाही के हकदार हमारे यह दोनों खिलाड़ी हैं, उतनी ही वाहवाही के हकदार यह दोनों कोच भी है.
वैसे अब आप समझ ही गये होंगे कि हर औरत के पीछे आदमी का हाथ भी होता है.