गाली देना सभ्य समाज में अच्छा नहीं माना जाता है.
गाली देने वाले को हम गन्दा और असभ्य इंसान समझते हैं लेकिन गाली देना कभी कभी खुद के लिए बहुत फायदेमंद भी होता है.
आपने अकसर देखा होगा कि गुस्से के समय शांत रहने वाला या चुपचाप अत्याचार सह्नेवालों को अटेक आ सकता है, ब्रेन हेमरेज हो सकता है, डिप्रेशन का शिकार होने लगता है या मानसिक तनाव में रहता है. आत्महत्या भी कर लेता है. जबकि गाली देने वाला इंसान स्वस्थ्य और जोश से भरा हुआ दिखाई देता है.
हर वक़्त बिना वजह गाली देना सही नहीं. लेकिन गुस्से में गाली देने के फायदे बहुत सारे है.
ज्यादा गुस्सा, अत्याचार या अधिक तनाव की स्थिति में गाली देने से व्यक्तिगत तौर पर कई फायदे होते है.
इस स्थिति में गाली देकर खुद को सुरक्षित करते हैं
आइये जानते हैं गुस्से में गाली देने के फायदे –
- जब हम गाली देते हैं तब गुस्से की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होने लगती है.
- ज्यादा गुस्से में शांत रहने वालो को अकसर दिल में दबाव बनता है, जिससे हार्ट अटेक आने की सम्भावना बढ़ जाती है, जबकि गुस्से में गाली देने से अटेक से बचा जा सकता है.
- अत्याचार की स्थिति में या लड़ाई की स्थिति में हमारे दिमाग पर मानसिक तनाव बढ़ता है, लेकिन जब हम उस स्थिति में जी भर कर गाली दे देते हैं तो गाली देने से मानसिक तनाव अपने आप कम होने लगता है.
- गुस्से में रक्त का दबाव बढ़ता है और उससे सांस फूलने लगती है, जबकि गुस्से के समय गाली देते रहने से रक्त संचार संतुलित बना रहता है.
- गाली देने वाला इंसान – गाली नहीं देने वाले इंसान से ज्यादा जोशीला बना रहता है, क्योकि गाली देने से शरीर के अंदर जो गुस्से का दबाव होता है वह बाहर निकल जाता है.
- गाली शरीर में गुस्से के दौरान उत्पन्न होने वाले नुकसानदायक केमिकल को कम करता है और अधिक मात्र में बनने से भी रोकता है.
- आपने अकसर देखा होगा कि गुस्से के समय शांत रहनेवाले इंसान को या तो अटेक आ जाता है, या तो डिप्रेशन का शिकार बनते जाता है. हर बात से चिढने लगता है जबकि गाली देकर लड़ाई खत्म करने वाला बाद में शांत और खुश नज़र आता है.
- गुस्से में गाली देना खुद के दिल और दिमाग को संतुष्ट रखता है, जिससे शरीर के अंदर की स्थिति नियंत्रण में आ जाती है.
खुद को स्वस्थ रखना है तो क्रोध और तनाव की स्थिति में दिल खोल कर, जी भर कर, चिल्ला चिल्ला कर गाली दीजिये और तब तक गाली दीजिये जब तक आप संतुष्ट ना हो जाए. आपके दिमाग में नुक्सान दायक केमिकल बनना बंद ना हो जाए.