शराब और मदिरापान के पीछे अच्छे-अच्छे घर बर्बाद हुए हैं.
कहते हैं कि यह मनुष्य और देवताओं का पान नहीं है. अब अगर आपको यह बात बताई जाये कि भगवान कृष्ण के बच्चे और इनके भाई भी शराब के आदि हो गये थे तो शायद, आप यह बात सुनकर गुस्से से लाल हो जायेंगे.
लेकिन यह बात सच है कि महाभारत के बाद भगवान कृष्ण के बच्चे और भाई बलराम तक शराब और मदिरा के आदि हो गये थे.
एक तरह से अगर बोला जाये तो वह यादव परिवार जो काफी इज्जत का हकदार था, उसके खात्मे की वजह शराब और मदिरा ही बताया गया है.
भगवान कृष्ण के बच्चे पीते थे शराब –
तो कहानी को बताने से पहले आपको बता दें कि आप सबूत के लिए पुस्तक – कृष्ण फिर आ जाते एक बार या श्याम तुम फिर एक बार मिल जाते जरूर पढ़ लें. इनके लेखक दिनकर जोशी हैं. साथ ही साथ यह लेख लेखक और समाज सेवक पवन श्रीवास्तव के एक प्रसंग से साभार है.
तब भगवान कृष्ण के बच्चे और पूरा यादव परिवार ही द्वारका में रहता था.
सभी को लगता था तब कृष्ण काफी सुख से रह रहे थे. द्वारका में शांति थी और चारों तरफ सुख ही सुख था, किन्तु असल में कृष्ण तब काफी दुखी थे. वरिष्ठतम यादव ऊग्रसेन समेत यादवकुमारों में मदिरा की लत सीमाओं का उल्लंघन कर रही थी.
भगवान कृष्ण के बच्चे और अन्य यादव कुमारों के मदिरा प्रेम को अग्रज बलराम का आशीर्वाद प्राप्त होना, कृष्ण को और चिंतित कर रहा था.
कृष्ण हमेशा इस समस्या का समाधान खोजते रहते थे. शराब पीने के बाद भगवान कृष्ण के बच्चे और यादव लोग शहर में उत्पात मचाया करते थे. इस वजह से सभी को परेशानी होती रहती थी.
तब हो गयी थी शराब पीये हुए, यादवों से बड़ी गलती
एक बार की बात है जब महर्षि कष्यप समुद्र तट पर अपनी साधना में व्यस्त थे. कुछ ही दूरी पर मद्यपान कर रहे यादवकुमारों के मन में खुराफात सूझा. कृष्णपुत्र साम्ब को स्त्री-वेष धारण कराकर, उसके उदरस्थल एक घड़ा बाँध कर वे महर्षि के सम्मुख उपस्थित हुए. महर्षि ने आँखें खोलीं तो तो कृष्णपुत्र प्रद्युम्न ने हाथ जोड़ कर महर्षि से पूछा, भगवान ये गर्भवती है, हम सब आपसे जानना चाहते हैं कि इसके गर्भ से पुत्र जन्म लेगा कि पुत्री ?
तब इस बात को सुनते ही महर्षि को काफी गुस्सा आया.
ऋषि ने गुस्से में श्राप दिया कि इसके गर्भ से जो जन्म लेगा वह तुम्हारे संपूर्ण वंश का विनाश करेगा. कुमारों ने जब साम्ब के पेट से कपड़ा हटाया तो उसमें से घड़ा नहीं एक लोहे का मूसल निकला. यादवकुमार इस बात से काफी डर गये थे.
यह लोग सीधे राजा ऊग्रसेन के पास गए और सारा प्रसंग बताते हुए मूसल दिखाया. राजा ऊग्रसेन भी भयभीत हो गए और मूसल को चूर कर समुद्र में फिंकवा दिया. दूसरे दिन यादव सभा की आपात बैठक हुई.
सारा प्रसंग जान कर सभा इस निष्कर्ष पर पहुँची कि यह सब मद्यपान के कारण हुआ है. कृष्ण ने उचित अवसर जान कर तत्काल मद्यनिषेध का प्रस्ताव रख दिया. कोई प्रतिवाद न कर पाया और प्रस्ताव पारित हो गया.
तब एक आखिरी सभा का आयोजन हुआ
कृष्ण ने शराब और मदिरा बंदी के लिए एक आखरी बड़ी सभा का आयोजन किया, जो राज्य की सीमा से बाहर रखी गयी थी.
ऐसा बोला जाता है कि यह सभा सुखाड़ में रखी गयी थी. जब कृष्ण यहाँ पहुचते हैं तो देखते हैं कि सभी यादव तो शराब में चूर हैं और आपस में ही लड़ रहे हैं.
कृष्ण ने बीच-बचाव का प्रयत्न किया लेकिन वहाँ कोई किसी की सुनने वाला नहीं था.
कृष्ण ने जब देखा कि कोई प्रद्युम्न की छाती पर सवार होकर अपने दाँतों से उसकी स्वासनली को नोच रहा है तो उनसे रहा नहीं गया. अपने पैरों के पास उगे कुष को उखाड़ कर लड़ रहे अपने परिजनों पर फेंकने लगे. कुष मूसल बन कर यादवों पर बरसने लगा. यादवों के सर्वश्रेष्ठ वंश वृष्णी वंश का सम्पूर्ण संहार हो चुका था.
तब आगे कहानी बताती है कि कृष्ण ने वहीं समुद्र के जल से परजनों का तर्पण किया और लौटते समय सोमनाथ में जरा नामक व्याधा के तीर से कृष्ण भी मारे गए थे.
इस तरह से यह कहानी साबित करती है कि शराब से कुल के कुल बर्बाद हो जाते हैं और नशों का पान इसलिए मनुष्य को नहीं करना चाहिए.