जब भगवान विष्णु राम अवतार लेकर जन्मे, तब उनका विवाह माता सीता से हुआ यह बात तो सबको ज्ञात है.
लेकिन एक और देवी थी जो राम का जाप कर रही थी और राम से विवाह के लिए तप कर रही थी. राम उससे मिले और उनसे विवाह करने का वचन भी दिया था. लेकिन राम अपना वचन निभा नहीं सके और आज भी वह देवी उनकी प्रतीक्षा कर रही है.
आइये जानते हैं क्या है पूरी कहानी
- भगवान विष्णु जब राम अवतार में जन्म लिए थे.
- जब लंका युद्ध करके मर्यादा पुरुषोतम राम अयोध्या लौट रहे थे, तब रास्ते में उनको एक पहाड़ पर उनके नाम का जाप करने वाली देवी दिखाई दी.
- उस देवी के मुख से अपने नाम का जाप सुनकर भगवान राम हनुमान के साथ पहुंचे उनके पास पहुंचे.
- देवी के पास आकर उनको उनकी तपस्या से उठाया, लेकिन देवी तप में ही लीन रही. फिर बार बार तप में बाधा आती हुई देखकर आँखे खोली तो सामने देखा भगवान राम अपने दूत के साथ खड़े थे.
- देवी ने मर्यादा पुरुषोतम राम से क्षमा मांगते हुए कहा – प्रभु मैंने आपके बार बार बुलाने पर भी तप नहीं छोड़ा. मै तप में लीन रही मुझे क्षमा कीजिये.
- जब राम ने देवी की तपस्या को देखते हुए उनसे उनकी मनसा और तप का कारण पूछा.
- तब उस देवी ने पत्नी के रूप में स्वयं को स्वीकार करने के लिए कहा.
- तब राम ने उनको कहा कि देवी मै तुम्हारे तप और निस्वार्थ प्रेम से खुश हूँ, लेकिन इस जन्म में मै मर्यादा पुरषोत्तम हूँ. इसलिए दूसरी स्त्री का स्वीकार नही कर सकता .
- तब देवी ने कहा – मै अपना तप तब तक करुँगी जब तक आप मुझे पत्नी रूम में स्वीकार नहीं कर लेते.
- देवी के प्रेम और निस्वार्थ भाव को देखते हुए, मर्यादा पुरुषोतम राम ने उनको विवाह का वचन दिया और कहा कि जब उनका जन्म कलयुग में कलकी रूप में होगा, तब वह उनको पत्नी के रूप में स्वीकार करेंगे.
- उस देवी का नाम कटरा था. जो कटरा पहाड़ में वैष्णव देवी के तीन रूपों में विभक्त हुई.
- कटरा देवी के प्रेम और सम्मान को देखते हुए भगवान राम अपने परम भक्त हनुमान को कटरा की सेवा में छोड़ कर चले गए.
- भगवान के दिए वचन को मानकर कटरा देवी ने अपना तप शुरू किया.
… और आज भी भगवान राम का इंतज़ार कलकी रूप में करते हुए तपस्या में लीं है. राम ने देवी कटरा को कलकी रूप में पत्नी स्वीकार करने का वचन दिया हुआ है.