भारत कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था, जहाँ लोग सोने की थाली में रखकर दान देते थे.
खुद के घर में खाना हो या ना हो, लेकिन कभी किसी को खाली हाथ नहीं जाने देते थे. हमारी अतिथि देवो भवः की परम्परा, जिसको हथियार बनाकर अंग्रेज हमारे देश में आये, हमें गुलाम बनाया, और सब कुछ लूट कर ले गए.
सच में हम भारतीय अजीब है. हमारी परम्पराए और मान्यताएं हमसे भी अजीब है. तभी तो अंगेजों की सैकड़ों साल की गुलामी के बाद भी किसी ने सबक नहीं लिया.
बस, इसी का फायदा उठाकर कुछ व्यापारी हमारी भावनाओं से खेलकर आज अरबो रूपये कमा रहे है!
तो आइये जानते है ये व्यापारी कौन है और आखिर क्या बेच रहे है
धर्म
भारत में पहले धर्म ज्ञान की कोई कीमत नहीं थी. लेकिन आज कुछ महानुभावों ने धर्म को ही बेचना शुरू कर दिया. धर्म के नाम पर बेहिसाब संपत्ति कमाकर समाज में पूजनीय बने हुए है. मजे की बात तो यह है, हमसे पैसे लेकर यह व्यापारी अमीर बनते गए और हम पैसे देकर गरीब बनते गए. फिर भी हम उन्ही पर अंध विशवास रख कर उनके चरणों में पड़े रहते है. सच में यह व्यापरी भी कमाल के है. सामने वाले से सब लेकर भी उनको अपनी शरण में रखे हुए है.