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सेफ्टी पिन क़र्ज़ चुकाने के लिए बनाई गई थी! लेकिन फिर एक आविष्कार बन गई !

सेफ्टी पिन

‘देखने में छोटन लागे पर घाव करे गंभीर’

ये कड़ी पढ़कर आपको कुछ याद आ रहा है?

अगर नहीं तो हम आपको याद दिलाते है – ये कड़ी हमने बचपन में किताबो में कई बार पढी है.

इस कड़ी का मतलब है ‘सेफ्टी पिन’.

सेफ्टी पिन बचपन में हमारी माताएं बहोत इस्तमाल करती थी. इससे वे हमें डराया करती थी. सेफ्टी पिन की साइज भले ही छोटी थी लेकिन इसकी नोक और इसकी चुभन के ख़याल से आज भी जिस्म सहम जाता है.

इससे  से जुडी कहानियां बहोत है पर ज़हन में सवाल ये उठता है कि इसे बनाने की ऐसी क्या ज़रूरत आन पडी?

आखिर किसने सेफ्टी पिन बनाया और कब ?

आप भी ये सोच रहे तो आपको ज्यादा दिमाग खपाने की ज़रूरत नहीं है, क्योकि हम आपको बताते है कि किसने, कब और क्यों इस पिन की खोज की.

दरअसल बात 1849 की है.

जब अमेरिका में रहने वाले वाल्टर हंट नाम का शख्स बेहद गरीबी में जी रहा था. लाख मेहनत करने के बावजूद भी वे अपने पुरखो द्वारा लिया गया 15$ का क़र्ज़ समय से चुकाने में असमर्थ थे.

चुकीं वाल्टर बचपन से अपने पिता के से साथ लोहे के व्यसाय से जुड़े हुए थे इसलिए उनमे कुछ नया करने का उत्साह पहले से ही था.

युवापन की सीढ़ी पर कदम रखते ही उन्होंने कुछ अनोखा करने का सोचा.

आखिकार उन्होंने महिलाओं की ज़रूरत को समझते हुए अपना पहला सेफ्टी पिन का निर्माण किया.

आइए जानते है सेफ्टी पिन की बारे में कुछ रोचक जानकारी.

1 – इस पिन को वाल्टर ने सबसे पहले ‘डब्लू आर एंड कम्पनी’ को बेचा. जिसमे कम्पनी ने उन्हें एक बड़ी संख्या में सेफ्टी पिन बनाने का ऑर्डर दिया. इस बिजनेस से वाल्टर ने 400 $ कमाएं और अपना कर्जा वापस किया.

2 – लेकिन उस वक्त वाल्टर ने सभी को सेफ्टी पिन के बारे में कुछ इन शब्दों में समझाया था. ‘’Useful Improvement in the Make of Form of Dress-Pins’’

3 – वाल्टर ने सबसे पहले सेफ्टी पिन को 8 इंच के ताम्बे के तार से बनाई थी. ये पहली पिन थी, जिसमे पिन को रीकने के लिए बक्कल लगा हुआ था.

4 – वाल्टर को अपनी सेफ्टी पिन के पेटंट #6,281 10 अप्रैल 1849 को ही मिल गए थे.

5 – सेफ्टी पिन के आविष्कार के बाद वाल्टर ने सिलाई मशीन, ट्राम घंटी, स्पिनर और सड़क साफ़ करने की मशीन का आविष्कार किया.

अब देखिए ना एक छोटा सा पिन आज महिलाओं के इज्जत को संभाले हुए है. इससे एक बात तो फिर एक बार साबित हो गई कि…

‘कुछ दिल में ठान ले तो पुरी कायनात आपसे जुड़ जाती है उस ख्वाहिश से आपको मिलाने के लिए’

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