भगवान शिव शंकर सबसे सीधे और भोले देवता माने जाते है. इसलिए इनको भोलेनाथ के नाम से भी पुकारा जाता है.
भगवान शिव शंकर अपने भोलेपन के कारण कभी भी किसी को कोई भी वरदान दे देते है. कई बार राक्षसों को अनजाने में ऐसे ऐसे वरदान दे देते थे, जिनके कारण सारे देवता मुसीबत में आते ही थे और कभी कभी खुद भी अपने दिए वरदान के कारण फंस जाते थे.
आज हम आपको ऐसी ही घटना से जुड़ी एक कहानी बताएँगे, जिसमे भगवान शिव शंकर अपने दिए वरदान के कारण फंस जाते है.
तो आइये जानते है क्या थी भगवान शिव शंकर कहानी
भगवान शिव का एक भस्मासुर नाम का भक्त था.
भस्मासुर ने कठोर तपस्या कर के भगवान शिव शंकर को प्रसन्न कर लिया. अपने भक्त के कठोर ताप को देकर भगवान शिव प्रकट हुए. भगवान शिव प्रकट होकर भस्मासुर को मनवांछित वरदान मांगने को कहा. तब भस्मासुर ने शिव शंकर से वरदान में माँगा कि वह जिस पर हाथ रखे वह भस्म होकर खत्म हो जाए.
अपने वरदान प्राप्ति के बाद भस्मासुर वहां से चला गया और रास्ते में उनकी नज़र माता पार्वती पर पड़ गई. माता पार्वती इतनी सुंदर थी कि भस्मासुर उनकी तरफ आकर्षित हो गया और उनको पाने की इच्छा करने लगा.
तब भस्मासुर पार्वती के बारे जाने के लिए उनके पीछे गए. तब उसको पता चला कि वह भगवान शिव शंकर उनके पति है.
तब भगवान शंकर को भस्म करने के लिए भस्मासुर भगवान शंकर के पीछे भागने लगा.
भस्मासुर की गलत मनसा देखकर भगवान विष्णु ने स्त्री रूप धारण कर लिया और भगवान शिव शंकर को बचने आ गए.
स्त्री रूप में देखकर भस्मासुर उनकी तरफ सम्मोहित होकर नृत्य करने लगा.
भस्मासुर के साथ नृत्य करते हुए भगवान विष्णु जो स्त्री रूप में थे भस्मासुर का हाथ उसके खुद के सिर पर रखवा दिया जिससे भस्मासुर भस्म हो गया.
इस तरह भगवान शिव शंकर अपने ही दिए वरदान से फस गए और भगवान् विष्णु ने स्त्री रूप धारण कर उनके प्राणों की रक्षा की.