पिछले काफी से समय से एनएसजी (न्युक्लियर सप्लायर ग्रुप) का हल्ला देश में हो रहा है.
सही तरह से बोला जाये तो देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले तीन माह से तो इसी के लिए मेहनत कर रहे हैं. ऐसे में हल्ला यह हो रहा है कि आखिर गरीबी और भूखमरी जैसी समस्याओं को छोड़कर, नरेन्द्र मोदी यह एनएसजी-एनएसजी, क्या कर रहे हैं?
अब इसमें देश के लोगों की गलती नहीं है. क्योकि आज भी आधे से ज्यादा देश की जनता तो यह जानती ही नहीं है कि एनएसजी आखिर क्या है और इसके देश को क्या फायदे हो सकते हैं?
तो आइये आपको सबसे पहले यही समझाते हैं-
क्या है एनएसजी ग्रुप ?
एनएसजी 48 देशों का अंतर्राष्ट्रीय समूह है, जिसका मकसद परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना और आपसी सहयोग से न्युक्लियर एनर्जी का उत्पादन करना है. यह समूह शांतिपूर्ण काम के लिए ही न्युक्लियर सामग्री का आपस में आदान प्रदान करता है. लेकिन एक तरह से देखा जाये तो जो देश NSG में शामिल हैं, वह विकसित देशों की श्रेणी में या तो शामिल हैं या शामिल होने लायक हैं. तो इस तरह से विश्व का इतना बड़ा देश भारत अगर NSG ग्रुप में शामिल नहीं है तो यह शर्म की ही बात है.
एनएसजी ग्रुप में शामिल होने से भारत को क्या फायदे होंगे?
– NSG ग्रुप में शामिल होने पर न्यूक्लियर एनर्जी जो अभी अमेरिका से कुछ सीमित मात्रा में आती है, वह एनर्जी बड़ी आसानी से देश को उपलब्ध होने लगेगी.
– देश के अन्दर अभी एनर्जी के स्त्रोत काफी सीमित हैं. कोयला जैसा खनिज पदार्थ जो सीमित संख्या में है, यदि उसको बचाना है तो अब यूरेनियम पर ध्यान देना होगा और यदि भारत NSG ग्रुप में शामिल होता है तो हम चीन को टक्कर दे सकते हैं.
– एशिया के अन्दर चीन अभी तक इतना शक्तिशाली देश इसी एनर्जी के कारण बना हुआ है. यदि भारत इस ग्रुप में शामिल होता है तो एशिया में भारत की पकड़ सबसे मजबूत हो जाएगी.
– हकीकत बात तो यह है कि अगर भारत को विकसित देश बनना है तो उसको न्यूक्लियर एनर्जी की आवश्यकता है. इसके बिना विकसित होना असंभव है.
– भारत में ऊर्जा की मांग काफी ज्यादा है तो उस मांग को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा जरूर चाहिए. यदि भारत इस ग्रुप में शामिल होता है वह परमाणु ऊर्जा आसानी से प्राप्त कर सकेगा.
तो चीन का विरोध क्यों है?
चीन, भारत से बुरी तरह से घबरा रहा है.
यदि भारत एनएसजी (न्युक्लियर सप्लायर ग्रुप) में शामिल हो जाता है तो इससे देश का विकास होगा.
एशिया के अन्दर भारत की एक अलग पहचान बनेगी. साथ ही साथ एशिया में चीन की राजसत्ता भी खतरे में पड़ने लगेगी. इसीलिए चीन भारत का विरोध कर रहा है. आज भारत में इस विरोध को कोई भी भारतीय समझ नहीं रहा है, सभी लोग मोदी को हराना चाहते हैं. ऐसा लग रहा है कि चीन भारत का विकास नहीं रोक रहा है बस जैसे कि मोदी का विकास रोक रहा है. असल में अब वक्त आ गया है कि चीन को उसकी औकात दिखाई जाये.
भारत में चीन से आ रहे सामान को रोक देना चाहिए. हर भारतीय को कसम खानी चाहिए कि वह चीन से आया कोई भी सामान नहीं खरीदेगा. तब खुद मात्र एक माह में चीन को उसकी औकात नजर आ जाएगी. चीन एनएसजी (न्युक्लियर सप्लायर ग्रुप) में भारत का विरोध इसीलिए कर रहा है क्योकि वह जानता है कि भारत के लोग बेवकूफ हैं और देश प्रेम की भावना उनके अन्दर मर चुकी है.
तो भारत एनएसजी (न्युक्लियर सप्लायर ग्रुप) में शामिल नहीं होगा?
अभी एनएसजी (न्युक्लियर सप्लायर ग्रुप) में शामिल देशों की संख्या 48 है और कुछ 42 देश भारत का समर्थन कर रहे हैं. बस कुछ 6 देश भारत का विरोध कर रहे हैं.
मोदी कुछ समय पहले अपने विदेश दौरे में इसी मुद्दे को लेकर सफ़र कर रहे थे कि विश्व के सभी एनएसजी देश, भारत का समर्थन कर दें. अगर भारत को NSG ग्रुप में जगह नहीं मिलती है तो यह एक तरह से नरेन्द्र मोदी की ही हार होगी और भारत जीतता है तो यह इनकी जीत होगी.
कुलमिलाकर एनएसजी (न्युक्लियर सप्लायर ग्रुप) देशों में अब भारत को जगह मिलनी ही चाहिए, क्योकि तभी शायद भारत विश्व का एक शक्तिशाली देश बन सकता है. यदि न्युक्लियर एनर्जी देश में आने लगती है तो उससे भारत का विकास होना निश्चित है.