ले के सौगात चल जायेंगे, उस अम्बर के घर में
रंग बिरंगे फूलों के रंग बिखेरेंगे, उस नील गगन में
श्वेत बादल के पंख लिपटाये, उड़ेंगे सारे व्योम में
चल धरा चल आज चले, उस अम्बर के आँगन में
निशा की हम बना के चादर, ओढेंगे अपने बदन में
नन्हे नन्हे तारों की टिमटिम संग, खेलेंगे उसके आँगन में
तारों संग सजाएंगे, कुसुम मंजरी नभ के तन में
आसमान के रंग चुरा ले आएंगे, अपने आँचल में
चल धरा चल आज चले, उस अम्बर के आँगन में
बारिश की बूंदों को हम, सात रंगों संग मिलायेंगे
सूरज के अंगों को शीतल करके, किरणों की मोती बनायेंगे
इस मोती को ओस बनाकर चमकाएंगे, तरुवर के सारे अंग में
चल धरा चल आज चले, उस अम्बर के आँगन में
पवन के झोंकों में समेट , बादल धरा पर लाएंगे
छोटे छोटे जुगनू को लाकर, पूरी धरा पर फैलायेंगे
निशा के काले रंग को, रंग देंगे, तेरे सारे रंग में
चल धरा चल आज चले, उस अम्बर के आँगन में
धरा- धरती,
अम्बर- आसमान, गगन, नभ, आकाश,
श्वेत – सफ़ेद
निशा- रात,
तरुवर- पेड़