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चारों ओर है आग ही आग ! वैज्ञानिकों की चेतावनी वरना डूब जायेगा आधा भारत

उतराखंड के जंगलों में लगी आग

इस साल उतराखंड के जंगलों में लगी आग अब तक की सबसे भीषण आग है.

उतराखंड के जंगलों में 1992, 1997, 2004 और 2012 में भी आग लगी थी. लेकिन जो आग इस बार लगी है, उस तरह की आग आज तक नहीं लगी थी. अब यह आग उतराखंड के अलावा हिमाचल प्रदेश तक पहुँच चुकी है.

आग की चपेट में आकर लोगों का मरना शुरू हो गया है. आग इतनी भयानक है कि आग बुझाने के लिए वायु सेना, थल सेना और एनडीआरएफ़ तक को लगाना पड़ा है.

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लेकिन आग है कि बुझने का नाम ही नहीं ले रही है.

इस बार इतनी भयानक आग लगने का मुख्य कारण, जमीन में नमी की कमी है. इस बार बारिश नहीं हुई है और इसकी वजह से पहले सूखे जैसे हालात उत्पन्न हुए थे. पेड़ों से सूखी पत्तियां ज्यादा गिरी और जब इन्होंने आग पकड़ी तो उसका असर हम सबके सामने आ रहा है.

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क्या हुई गलती ?

वन विभाग और सरकारी एजेंसियों से सबसे बड़ी गलती यह हुई कि वक़्त रहते वह समझ नहीं पाए कि इस बार लगी आग ज्यादा खतरनाक है. अब आग से जो प्रदूषण हो रहा है वह प्रदूषण इतना है जितना 2 साल में एक बड़े शहर का होता है. तो अब आप इसी एक बात से अनुमान लगा सकते हैं कि आग कितनी भयानक है.

वैज्ञानिकों की चेतावनी, पिघल रहे हैं ग्लेशियर

नैनीताल के आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर ऑब्जर्वेशनल साइंसेस (एआरआईईएस) और अल्मोड़ा के गोविंद बल्लभ पंत इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एन्वायरन्मेंट एंड डेवलपमेंट (जीबीपीआईएचईडी) ने कहा कि धुएं और राख में मौजूद कार्बन ग्लेशियर्स को कवर कर चुका है. इस आग के कारण तापमान में भी बढ़ोतरी हो रही है. जिसके कारण गंगोत्री, मिलाम, सुंदरदुंगा, नेवला और चीपा के ग्लेशियर्स पिघल सकते हैं और अगर ग्लेशियर पिघले तो नदियों का पानी इतना बढ़ जायेगा कि तब कोई इससे होने वाली तबाही को रोक नहीं सकता है. ज्ञात हो कि उतराखंड एक बार पहले भी ऐसी तबाही का गवाह बन चुका है.

अगर ग्लेशियर पिघलते हैं तो नदियों में इतना पानी बढ़ सकता है कि आधा भारत डूब जाये. इसके साथ ही साथ ग्लेशियर पिघलने से जो तबाही ऊपरी भारत में होगी उसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है.

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तो अब क्या करना है

तो अब सबसे बड़ी परेशानी यही है कि जल्द से जल्द इस आग पर कैसे भी काबू पाया जाये. सेना जिस तरह से काम कर रही है वह काबिले तारीफ है लेकिन अगर बरसात नहीं शुरू होती है तो आग पर काबू पाना मुश्किल नजर आ रहा है. जंगल में जो सूखी पत्तियां है उनको हटाने का काम युद्ध स्तर पर करना होगा.

उतराखंड और हिमाचल के लोगों को भी इस काम में सेना और राहत काम में लगी संस्थाओं का साथ देना चाहिए. ध्यान रखें कि अब जंगल में लगी आग की वजह से कुछ जंगली जानवर भी सुरक्षित जगह की ओर भाग रहे हैं. शहर में आने पर इनका सामना इंसान से होना निश्चित है इसलिए शहरी लोगों को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है.

तो अब दुआ कीजिये कि जल्द से जल्द बरसात हो और प्राकृतिक रूप से ही आग पर काबू हो जाये. अन्यथा आने वाले समय में इन्सान के लिए अधिक समस्या उत्पन्न होने वाली हैं.