अलाउद्दीन किसी भी कीमत पर रानी पद्मिनी को हासिल करना चाहता था, इसलिए उसने चितौड़ पर हमला कर दिया.
हमले में अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी के पति रत्न सिंह को पकड़ लिया और बदले में रत्न सिंह की पत्नी और मेवाड़ की रानी पद्मिनी को मांगा.
राजा को यहाँ मरना स्वीकार था लेकिन अपनी प्रेमिका और धर्म पत्नी के बारें में एक मुस्लिम शासक से ऐसा सुनना मंजूर नहीं था.
लेकिन जब रानी पद्मिनी को इस बात की खबर मिली कि खिलजी उसके पति को तभी छोड़ सकता है जब वह रानी के साथ अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर ले. तो बहादुर रानी ने भी खिलजी को खबर भेजी कि हम तुम्हारे पास आयेंगी लेकिन शर्त यह थी कि वह अपनी दासियों के साथ हाजिर होंगी.
रानी के जाने के लिए डोलिया सजाई गयीं और साथ ही साथ दासियों के लिए भी कारवा का इंतजाम किया गया.
कुछ इतिहासकार कहते हैं कि रानी के साथ जो दासियाँ थीं वह असल में योद्धा सैनिक थे जो महिलाओं के कपड़ों में गये थे और कुछ लेखक लिखते हैं कि यह सैनिक भी डोलियों में गये थे.
जैसे ही रानी पद्मिनी खिलजी के दरबार में पहुँचती है, तभी एक भयंकर युद्ध शुरू हो जाता है. रानी पद्मिनी की इस बहादुरी को देखकर, अलाउद्दीन खिलजी हैरान-परेशान रह जाता है. युद्ध कर राजा रतन सिंह को छुड़ा लिया जाता है लेकिन इस बात से खिलजी अत्यधिक क्रोधित हो जाता है. वह अपनी सेना एक बार फिर से जोड़ता है और मेवाड़ पर बड़े हमले की तैयारी करता है.
कैसे अलाउद्दीन खिलजी को रानी पद्मिनी की खूबसूरती का पता चला था ?
राघव चेतन नाम का एक तांत्रिक मेवाड़ राज में था. एक बार जब राजा रत्न सिंह को इसकी बदसलूकी की खबर मिली तो राजा ने इसका काला मुंह करवाकर शहर से बाहर निकाल दिया था. यह तांत्रिक दिल्ली जाता है और अलाउद्दीन खिलजी को रानी के रूप के बारें में बताता है. खिलजी रानी के रूप को सुनते ही, दीवाना हो जाता है और एक बार मेवाड़ आकर रानी के रूप को देखने की बात रत्न सिंह से कहता है.
जब रानी की एक झलक देख पागल हो गया था खिलजी
खिलजी से युद्ध ना करने की बात कहकर रानी पद्मिनी ने कोई और उपाय खोजने के लिए, राजा रत्न सिंह को राजी किया. अलाउद्दीन को भोज पर बुलाया गया और यहाँ पर जब खिलजी ने झील के पानी के अन्दर रानी की झलक देखी तो कहते हैं कि वह पागल हो गया था. उसके बाद राजा रत्न सिंह को बंदी बना लिया गया था. और रानी पद्मिनी ने युद्ध कर राजा को बचाया था.
अंतिम युद्ध और रानी ने दी अपनी जान
जब राजा रत्न सिंह को छुड़ाया गया तो इस बात से खिलजी को बहुत आघात पंहुचा.
खिलजी अपनी सारी सेना लेकर मेवाड़ पर हमला कर देता है. राजा रत्न सिंह अपनी मातृभूमि और शान की रक्षा के लिए युद्ध भूमि में चले जाते हैं. वहीं रानी पद्मिनी को अपने रूप से इतनी नफरत हो जाती है कि वह महल में अग्नि कुंड बनवाकर उसमें सती हो जाती हैं. सभो को पता था कि यह युद्ध मेवाड़ अब हार जायेगा और इसके बाद जो यहाँ महिलाओं के साथ बलात्कार जैसे काम होंगे. इससे बेहतर अपनी शान की रक्षा करते हुए, राज्य की 14 हजार महिलाओं ने भी अग्नि कुंड में कूदकर अपनी जान दे दी थी.
यह कहानी भारतीय महिलाओं के इतिहास की गौरव गाथा बताती है.
हमारे हिन्दू समाज और सनातनी धर्म में वीर महिलायें मौजूद थीं जो अपनी शान और इज्जत की खातिर अग्नि में कूद गयीं थीं.
लेकिन भारतीय इतिहास से इस कहानी को इतिहासकारों ने क्यों हटा दिया है इसका जवाब किसी के पास नहीं है.