बीते दिनों एक बड़े अखबार पर धर्मपरिवर्तन की खबर चली थी.
हिन्दू धर्म के कुछ लोग बौद्ध धर्म को अपना रहे थे. धर्मपरिवर्तन के समय लोगों ने बोला था कि हिंदु धर्म में जाति के नाम पर दरार पैदा किया जाता है. हम लोग इसकी कुरितियों से परेशान हो चुके हैं इसलिए हम लोगों ने बौद्ध धर्म अपनाया है.
धर्म परिवर्तन करने वालों में 140 महिलायें भी शामिल थीं और कुल धर्मपरिवर्तन करने वाले लोग कुछ 500 कि संख्या में थे. यह सभी बिहार के औरंगाबाद और जहानाबाद के अलावा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश से थे.
जब यंगिस्थान ने जांच की – आखिर क्यों बड़ी संख्या में हिन्दू अपना रहे हैं बौद्ध धर्म? तो उसको कई तरह की बातें जानने को मिली हैं.
आज हम आपको धर्मपरिवर्तन की इसी जमीनी सच्चाई से वाकिफ कराने वाले हैं.
बौद्ध धर्म से मुसलमान बन रहे हैं दलित
बौद्ध धर्म में हिन्दू दलितों का हो रहा यह धर्मपरिवर्तन काफी खतरनाक है. अभी हमारे समाज के जिम्मेदार लोग बेशक शांत है लेकिन आंकड़ों पर नजर डालते ही इनकी नींद उड़ सकती है. कुछ मुस्लिम धर्म गुरुओं ने इस चाल का निर्माण किया है. अगर इन हिन्दुओं को पहले मुसलमान बनाया जाएगा तो हंगामा हो जाएगा. इसीलिए इन लोगों को पहले बौद्ध धर्म में भेजा जाता है और वहां से मुसलमान बनाने का काम हो रहा है.
आंकड़ों पर नजर डालें तो बीबीसी की एक रिपोर्ट सब कुछ कह जाती है.
इसके अनुसार सन 2001 की जनगणना के मुताबिक देश में बौद्धों की जनसंख्या अस्सी लाख है जिनमें से अधिकांश नवबौद्ध यानि हिंदू दलितों से धर्म बदल कर बने हैं. सबसे अधिक 59 लाख बौद्ध महाराष्ट्र में बने हैं. यूपी में सिर्फ 3 लाख के आसपास नवबौद्ध हैं. फिर कई इलाकों में इन्होंने हिंदू कर्मकांडों को छोड़ दिया है. पूरे देश में 1991 से 2001 के बीच बौद्धों की आबादी में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
इसके बाद अगर आप नजर डालें तो बीजेपी पार्टी के कुछ सूत्र यह बता रहे हैं कि यूपी में हुए एक सर्वे के अन्दर यह बात सामने आई है कि बौद्ध धर्म अपनाने वाले लोगों को पैसा देकर मुसलमान बनाया जा रहा है. इस काम के लिए बाहर से मौलवियों को धन मिल रहा है. वैसे दलित लोग धन के लालच में ही एक धर्म से दूसरा धर्म अपना रहे हैं. जहाँ पैसा मिलता है यह लोग वहीँ हो लेते हैं.
तो गलती हमारी भी है
दलित लोग अगर हिन्दू धर्म को छोड़कर जा रहे हैं तो इसके पीछे उनका यहाँ से मोहभंग होना ही है. ज़िन्दगी पर गैर-बराबरी को झेलते हुए जीने से अच्छा है किसी और धर्म में बराबरी प्राप्त करना. पिछले दो-तीन सालों में दलित लोगों पर अत्याचार के केस 50 हजार तक बढ़ चुके हैं. बड़ी जाति के लोग दलितों पर अत्याचार कर रहे हैं. इसलिए इन सबसे तंग आकर यह लोग बौद्ध धर्म स्वीकार कर रहे हैं.
जल्द से जल्द बने एक कानून
देश के अन्दर अब जल्द से जल्द एक कानून बनाये जाने की जरूरत है. धर्म परिवर्तन को अगर नहीं रोका गया तो निश्चित रूप से यह देश के लिए घातक सिद्ध होगा. जिस तरह से देश के बाहर से पैसा लाया जा रहा है कि हिन्दुओं को पैसे के दम पर मुसलमान, बौद्ध धर्म और इसाई बनाया जा सके, यह आतंकवाद से कम नहीं है. आदिवासी इलाकों में सारा धन मिशनरी धर्मपरिवर्तन पर ही लगा रही हैं.
बौद्ध धर्म जिसे हम हिन्दुओं के भाई बोलते हैं वह लोग धर्मपरिवर्तन के समय लोगों को कसम खिलाते हैं कि अब हम राम-कृष्ण की पूजा नहीं करेंगे. हम मूर्ति पूजा नहीं करेंगे. यह सब दर्शाता है कि हिन्दुओं के दुश्मन तेजी से बढ़ रहे हैं.
अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में हिन्दू भारत देश में ही अल्पसंख्यक हो जाएगा.
तब ना कोई हिन्दुओं के अधिकारों की बात करेगा और ना ही तब हमको वोट देने का अधिकार होगा.