मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से ४६ किलोमीटर दूर और विंध्य की पर्वत श्रृंखलाओं से घिरी हुई पौराणिक काल की यह जगह है भीमबेटका. घने जंगल और चट्टानों के बीच इस जगह पर करीब ६०० शैलाश्रयों (रॉक शेल्टर) की खोज की गई है. यह सारे शैलाश्रय नव पाषाण युग के हैं. आप यहाँ की गुफाओं में कई प्रकार की, हजारों वर्ष पुरानी रॉक पेंटिंग्स देख सकते हैं. इन्हें इतिहास का एक बहुत ही बहुमूल्य पुरातात्विक संकलन माना जाता है.
जब आप यहाँ पर इन कृतियों को देखेंगें तो मंत्रमुग्ध होने के साथ ही अचंभित भी होंगे कि किस तरह से गुफावासियों ने यह सुन्दर कृतियाँ उस युग में बनाई और यह आज भी एक जीवित कहानी दर्शाती है. इन सभी कृतियों का चित्रांकन मुख्य रूप से लाल और सफ़ेद रंग में किया गया है पर कहीं-कहीं पर आप पीले और हरे रंग को भी पाएंगें. यह चित्रांकन उस समय की दैनिक घटनाओं पर आधारित है और साथ ही इनका चित्रण बड़ा ही जीवंत दिखाई पड़ता है. चित्रों मेंकई प्रकार की दैनिक गतिविधियों का मार्मिक चित्रण हुआ है जैसे नृत्य-संगीत की तसवीरें, लड़ाई करते हुए जानवर, कई तरह के मुखौटे, तत्कालीन जीवन आदि. साथ ही बहुत से अलग-अलग जानवरों जैसे, कुत्ते, बन्दर, हाथी, हिरन और मगरमच्छ का सुन्दर चित्रण किया गया है. चित्रों को एक के ऊपर एक बनाने से यह प्रतीत होता है कि चट्टान नुमा कैनवास पर कई लोगों ने अलग-अलग समय पर चित्र बनाए हैं.
यह देख के आप असमंजस में भी पड़ सकते हैं कि इतने पुराने वक़्त के होने के बावजूद ये आज भी नए ही लगते हैं.
भीमबेटका इन चट्टानों की कलाकृतियों के अलावा यहाँ के हरे-भरे जंगल और सुन्दर परिदृश्य भी आपको मंत्र मुग्ध कर सकते हैं. यहाँ की ऊंचे-नीचे चट्टानों के रस्ते और पहाड़ियां आपको कौतुहल से भर देंगें. इन सभी चीजों के साथ आपका छुट्टी का दिन बड़े ही आनंदमय तरीके से गुज़र सकता है. इन सुन्दर वादियों में आप शहर की भाग-दौड़ से इतर, एक अलग तरह का सुकून पाएंगें.
गौर की बात यह भी है कि अब इस जगह को यूनेस्को द्वारा एतिहासिक धरोहर घोषित कर दिया गया है.