अगर किसी हिन्दू महिला से पूछते हैं कि हिन्दू महिलाओं ने कबसे मांग में सिंदूर भरना शुरू किया है?
किसी पर भी इसका सही जवाब नहीं होता है.
लेकिन अगर पूछे कि आप मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं तो कुछ बोलती हैं पति की लम्बी उम्र तो कुछ सुहाग की निशानी बता देती हैं.
लेकिन आज आपको हम बता रहे हैं वह 5 कारण कि आखिर क्यों विवाह के बाद हिन्दू महिलायें अपनी मांग भरती हैं-
1. स्वास्थ्य के लिए जरूरी सिंदूर
सिर के उस स्थान पर जहां मांग भरी जाने की परंपरा है, मस्तिष्क की एक महत्वपूर्ण ग्रंथी होती है, जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं. सिंदूर इसलिए लगाया जाता है क्योंकि इसमें पारा नाम की धातु होती है. पारा ब्रह्मरंध्र के लिए औषधि का काम करता है. महिलाओं को तनाव से दूर रखता है.
2. सेक्स समस्या खत्म होती हैं
ऐसा भी बोला जाता है कि सिंदूर से महिलाओं की सेक्स सम्बंधित कई तरह की बीमारियाँ दूर हो जाती हैं. साथ ही साथ इससे सेक्स करने की इच्छा भी तेज होती है. तभी शायद ऐसा बोला जाता है कि पति की मृत्यु के बाद सिंदूर नहीं लगाना चाहिए.
3. शादी की एक निशानी
सिंदूर किसी लड़की में यह बताता है कि उसकी शादी हो चुकी है और बाकी अन्य पुरुषों को उससे दूर रहने की चेतावनी देता है. सालों पहले पराई स्त्री को देखा तक नहीं जाता था और सिंदूर यह निशानी होती थी कि वह स्त्री किसी और की हो चुकी है. किन्तु आज यह संस्कार पश्चिमी संस्कृति की वजह से खत्म हो चुके हैं.
4. सिंदूर की सुन्दरता
आज बेशक महिलाओं ने कुमकुम जैसी चीजों को अपने माथे पर लगाना शुरू कर दिया है लेकिन जो सुन्दरता सिंदूर से महिला पर आती है वह कुमकुम से नहीं आ सकती है. महिला की सुन्दरता को साड़ी और सिंदूर दो चीजें चार-चाँद लगाते हैं.
5. टोटके के रूप में काम करता है सिंदूर
महिला की मांग में भरा हुआ सिंदूर किसी टोटके की तरह काम करता है. शास्त्र बताते हैं कि सिंदूर बुरी नजर से बचाता है और कई तरह के बुरे सपनों से भी महिलाओं को राहत प्रदान करता है.
तो अब अगर आप महिलायें हैं तो सिंदूर का महत्त्व समझ ही चुके होंगे.
आपको सिंदूर लगाने पर किसी तरह की ग्लानी या हीनता का भाव दिल में लाने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसके बदले आपको तो अपने इस संस्कार पर गर्व करने की आवश्यकता है.
तो गर्व के साथ लगाये चुटकी भर सिंदूर…