पांडव जिन्होंने महाभारत का युद्ध जीतकर इतिहास लिखा था.
पांडवों को हम धर्मी मानते हैं लेकिन कौरवों को अधर्मी बोला जाता है.
किन्तु सत्य यह है कि उस समय में दोनों ही एक जैसे थे. ना कौरव अधर्मी थे और ना ही पांडव धर्मी थे. इतिहास वही लिखता है जो लड़ाई जीतता है इसलिए महाभारत भी पांडवों के हक़ में बताया जाता है.
पांडवों के पिता पांडू जिनकी मृत्यु की वजह सेक्स बना था.
अब आप यह पढ़कर गुस्से से लाल भी हो सकते हो लेकिन किन्तु पूरी कहानी पढ़कर आप हमसे सहमत भी हो जायेंगे.
जब एक बार पांडू गये थे शिकार पर
पांडवों के पिता जब एक बार शिकार पर गये थे तो उन्होंने हिरण का शिकार करने के लिए तीर से हमला किया. बताते हैं कि वह तीर जाकर एक साधू को लगा जो उस समय अपनी पत्नी के साथ सम्भोग कर रहे थे. तब उस साधू ने पांडू को श्राप दिया था कि उनकी मृत्यु भी तभी होगी जब वह सेक्स कर रहे होंगे.
इसीलिए पांडवों का जन्म कहते हैं कि पांडू के वीर्य से नहीं हुआ है. कुंती ने अपने वरदान से अपने बच्चों को जन्म दिया था.
लेकिन जब पांडू ने किया सेक्स
एक दिन की बात है, बसंत का मौसम था.
महाराज माद्री के साथ प्रकृति की इस सुंदरता को निहार रहे थे. ऋतु के प्रभाव से उनमें काम-वासन जाग्रत हो गई. वह माद्री के साथ काम-क्रीडा करने के लिए आतुर हो गए. माद्री ने बहुत रोका, लेकिन पांडु नहीं माने. कामवश वह अपनी बुद्धि खो बैठे थे तब उनकी तत्काल मृत्यु हो गई. माद्री इस कारण बहुत दुखी थीं. वह भी पांडु के साथ जलती चिता पर बैठ गईं.
इस तरह दोनों की मृत्यु हो जाती है.
तो इस कहानी को पढ़कर काश हम पांडू से पूछ सकते कि उनको पता था कि ऐसा करने से उनकी मृत्यु हो सकती है. तो क्या इनको अपने परिवार और बच्चों किसी की भी चिंता नहीं था. पिता की मौत के बाद बच्चों को दर-दर की ठोकरे खानी पड़ी थी. राज्य की जनता अनाथ हो गयी थी और राज गद्दी के लिए सारा महाभारत लिख दिया गया था.
तो पांडू की एक गलती सीधे-सीधे उनको एक लापरवाह स्वार्थी पिता और राजा घोषित कर सकती है.