भगवान शिव आदिकाल से ही धरती को थामे हुए हैं और आदिकाल से ही मानव जाति उनका अस्तित्व मानती आ रही है.
एक यही कारण है कि भारत के हर दिशा और हर कोने में बराबर की मान्यता रखते हैं.
बात चाहे कश्मीर की हो या कन्याकुमारी और इसी तरह से गुजरात से असम-मिजोरम हर जगह शिव की आराधना बेशक थोड़ी भिन्न है किन्तु शिव की पूजा-अर्चना जरुर हो रही है.
इसी क्रम में अगर महाभारत काल की बात करें तो यहाँ भी शिव औरों से थोडा ज्यादा ही पूजे जा रहे थे. बात चाहे पांडवों की हो या कौरवों की दोनों ही बराबर और समान रूप से शिव भगवान को मानते आ रहे थे.
पांडवों को जब अज्ञात वास पर भेजा गया था जो यह समय इनके लिए सबसे उत्तम समय बताया गया था जब इन्होनें शिव की पूरी और सबसे ज्यादा उपासना की थी.
जब पांडवों ने बनवाये सवा लाख शिवलिंग
अगर उतराखंड में आप कभी जा रहे हैं तो ऐसे में आप लाखा मंडल जाना बिल्कुल भी ना भूलें. यह स्थान द्वापर युग से ही आस्था का केंद्र बना हुआ है. कहते हैं कि जब इस समय में पांडव अज्ञातवास पर निकले हुए थे तो वह उतराखंड में आये. आज जहाँ यह मंदिर है इसी स्थान को इन्होनें अपना पूजा स्थान बनाया और शिव की आराधना की थी. भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाये इस लिहाज से पांडवों ने यहाँ पर सवा लाख शिवलिंगों को बनवाया था. यह शिवलिंग आज भी खुदाई में प्राप्त होते जा रहे हैं. यहाँ पर मंदिर पंडितों से अनुमति प्राप्त कर खुदाई की जाती है और शिवलिंग प्राप्त होने का क्रम चलता रहता है.
हर शिवलिंग अलग रंग का
सबसे बड़ी खास बात यह है कि यहाँ प्राप्त हो रहे शिवलिंग अलग-अलग रंग के प्राप्त होते हैं. यह बेशक हजारों साल पुराने हैं लेकिन देखने से और जमीन के नीचे होने से इनको कोई भी नुकसान नहीं हुआ है. कहा जाता है कि यहाँ अगर इन शिवलिंग के दर्शन हो जाते हैं तो यह बात भक्तों के लिए शुभ होती है.
मंदिर का महत्त्व
यह लाखामंडल मंदिर उत्तराखंड का एक शक्तिशाली और अनोखा मंदिर है. यहाँ पर दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए आते हैं. यहाँ के पुजारी बताते हैं कि आज तक कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिला है जो यह बोलता हो कि उसने भगवान शिव से कोई जायज मांग मांगी थी और वह पूरी नहीं हुई है. यह दरबार आसपास के लोगों को रोजगार की प्रदान कर रहा है;
मंदिर के इतिहास के बारे में भी आसपास के लोग यही बताते हैं कि पांडवों ने यहाँ सवा लाख शिवलिंग बनवाये थे और भगवान शिव इस कार्य से प्रसन्न होकर यहाँ प्रकट हुए थे तथा सभी पांडवों को उन्होंने वरदान भी दिए थे.
तो अब अगर आप उतराखंड जा जा रहे हैं तो लाखामंडल जाना तो बिलकुल भी ना भूलें…