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क्यों है इस बार की महाशिवरात्रि विशेष महत्वपूर्ण – जानिये ज्योतिर्विद पंडित सोमेश्वर जोशी से

Why This Shivratri Is More Important

शिवरात्रि इस बार सात मार्च भगवान शिव के प्रिय दिन सोमवार के दिन महाशिवरात्रि है।

सोमवार को महाशिवरात्रि होने से शिव पूजा करने से कई गुना अधिक पुण्य फल की प्राप्ति होगी। इस बार शिव आराधना के लिए महाशिवरात्रि का दिन विशेष शुभफलदायी रहेगा।

क्यों हे इस बार की महाशिवरात्रि विशेष महत्वपूर्ण

वैसे तो हर मास की कृष्णपक्ष चतुर्दशी को मास शिव रात्रि मनाई जाती हे परन्तु ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश्वर जोशी ने बताया कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को त्रयोदशी सयुक्त चतुर्दशी एवं रात्रि प्रधान चतुर्दशी को महाशिवरात्रि की प्रधानता मानी गई हे इस बार चतुर्दशी सोमवार दोपहर 1:20 बजे से प्रारम्भ होकर मंगलवार प्रातः10:33 तक रहेगी यह महाशिवरात्रि इसलिए भी बहुत विशेष हे क्यों की शिव की दोनों तिथियाँ त्रयोदशी और चतुर्दशी शिववार सोमवार को आ रही है.

इसी दिन शुभ योग एवं पंचग्रह, ग्रहण और कालसर्प योग भी रहेंगे, जिनसे ग्रह शांति का विशेष लाभ मिलेगा।

शिव तंत्र के महादेव है इसलिए तंत्र की ४ महारात्रियो मे से एक तथा मार्च की पहली महारात्रि महाशिवरात्रि है तंत्र में कई साधना ऐसे होती है जो केवल इसी रात्रि को की जा सकती है  जिसे करने से कई गुना फलदायी एवं सिद्दी दायक होती है.  इसी दिन शिवज्योति का प्राकट्य और शिव पारवती विवाह हुआ था

चार वर्षो बाद बना शुभ संयोग, अगला बारह वर्षो बाद

ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश्वर जोशी ने बताया कि 2012 में महाशिवरात्रि सोमवार के दिन आयी थी। इसके बाद  चार साल बाद ऐसा शुभ संयोग महाशिवरात्रि पर बना है अगला योग बारह वर्षो बाद 2028 में बनेगा। उन्होंने बताया कि सोमवार के दिन शिवरात्रि का होना, शुभफलदायी माना जाता है, जिनका चंद्रमा, शुक्र, राहु खराब हो, उनके लिए शिव पूजा विशेष फलदायी होगी। वहीं जिन बच्चों का पढ़़ाई में मन नहीं लगता है, विवाह नहीं हो रहा हर तरह की मनोकामना महाशिवरात्रि पर पांच महापूजा करने से विशेष पुण्य फलदायी होगी। सोमवार के दिन महाशिवरात्रि आने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है।यही नहीं भक्तों के कष्टों का निवारण होगा।

ऐसे करे रात्रि पंच महापूजन

इस दिन व्रती को सफ़ेद बालू रेत के पार्थिव शिव लिंग बनाकर फल, पुष्प, चंदन, बिल्वपत्र, धतूरा, धूप, दीप और नैवेद्य आदि षोडशो उपचार से महारात्रि को पाँच बार पूजा करनी चाहिए।

दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिव को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें। चारों प्रहर के पूजन में शिव पंचाक्षर ‘ओम् नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें। भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान, इन आठ नामों से बिल्वपत्र, सफ़ेद आकड़े के पुष्प, विशेष कर भस्म, इत्र, रुद्राक्ष, एवं नील कमल अर्पित करे अर्पित कर भगवान की आरती और परिक्रमा करें।

यह करे विशेष, जिससे होगी यह कामना पूरी

धन प्राप्ति के लिए- बिल्वपत्र से अर्चन करे
पुत्र प्राप्ति के लिए- दूध, हल्दी मिला कर अभिषेक करे
सर्व मनोकामना पूर्ति के लिए- पंचामृत अभिषेक करवाये
मृत्युतुल्य रोग और कष्ट मुक्ति के लिए- मृत्युंजय मन्त्र का जप करे
सुख-समृद्धि के लिए- सफ़ेद आकड़े के फूल चढ़ये
प्रेम प्राप्ति के लिए- शिव-पार्वती का संयुक्त पूजन करे “ऊं साम्ब-सदाशिवाय नमः”
चन्द्र और शुक्र शांति के लिए- खीर का भोग लगाये, मोती, चांदी, हीरा, शकर चढ़कर दान दे
सौभाग्य प्राप्ति के लिए- व्रत कर, शिव जप पांच बार पूजन करे

– ज्योतिर्विद पंडित सोमेश्वर जोशी

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