गणेश भगवान को भी किसी ने श्राप दिया होगा ऐसा बहुत ही कम लोग जानते हैं.
साथ ही साथ यह बोला जाये कि एक स्त्री ने भगवान गणेश को श्राप दिया था तो यह तो जैसे कि आपको मजाक लगेगा. लेकिन यह बात सच है और यह स्त्री कोई और नहीं थीं बल्कि खुद तुलसी जी थी.
रामभक्त श्री हनुमान जब सीता माता की खोज में लंका गए तो वहाँ एक मात्र घर के आँगन में तुलसी का पौधा देखकर, वे जान गए कि यह एक धर्मी का घर है व उन्होंने लंका दहन के समय में वह घर छोड दिया, जिसके बारे में गोस्वामी तुलसी दास जी कहते हैं कि
“रामायुध अंकित गृह, शोभा बरनि ना जाये. नव तुलसी का वृन्द तहं, देख हरष कपिराय..”
जी हाँ आज जिन तुलसी जी की हम पूजा करते हैं या यह कहें कि जिस रूप में पूजा करते हैं वह सिर्फ और सिर्फ भगवान गणेश जी के श्राप की ही दें हैं. बेशक बाद में भगवान गणेश जी की ही कृपा से यह श्राप वरदान बन जाता है किन्तु प्रारंभ में ऐसा सोचकर तुलसी जी को श्राप नहीं दिया गया था.
तो आइये पढ़ते हैं कि वेद और शास्त्र इस कहानी को किस प्रकार से बताते हैं-
कथा जो नहीं सुनी होगी आपने और तुलसी जी पौधे रूप में परिवर्तित हो गयी.
एक बार तुलसी भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए उनके विभिन्न तीर्थों में घूम रही थी. घूमते हुए वह गंगा नदी के किनारे पहुंच गई. वहां पर तुलसी ने भगवान गणेश को देखा और उन पर मोहित हो गई. श्रीगणेश द्वारा तुलसी से उनका परिचय पूछने पर अपना नाम बताया और श्रीगणेश को पति के रूप में पाने की इच्छा जताई. तुलसी की यह बात सुनकर भगवान गणेश ने उनसे कहा- “देवी विवाह बहुत दुःखदायी होता है, उससे सुख संभव नहीं है. मैं विवाह नहीं करना चाहता हूं. तुम किसी और को अपने पति रूप में चुन लो.”
श्रीगणेश के ऐसा कहने पर तुलसी देवी बहुत क्रोधित हो गई और भगवान गणेश को उनका विवाह होने का श्राप दे दिया.
इस बात से भगवान गणेश भी क्रोधित हो गए और उन्होंने तुलसी को वृक्ष हो जाने का श्राप दे दिया.
भगवान गणेश के इसी श्राप की वजह से तुलसी पौधा बन गई.