रावण को भला कौन नहीं जानता होगा.
इतिहास को एक दुःख भी है कि इतना बड़ा ब्राह्मण जो समस्त मानव जाति के काम आ सकता था. जो विश्व को महान आविष्कार दे सकता था किन्तु वह व्यक्ति अपनी अच्छाइयों के बजाय अपनी बुराइयों से ज्यादा जाना गया, पहचाना गया.
रावण ने वैसे तो समस्त मानव जाति पर अत्याचार किये थे लेकिन इसने महिलाओं पर विशेषकर कुछ ज्यादा ही अत्याचार किये थे.
जो भी स्त्री पसंद आती थी उसे उठा लेना, या उसके साथ जबरदस्ती करना, यह रावण के लिए आम बात थी.
लेकिन रामायण एक जगह जिक्र आता है जब रावण का सामना एक स्त्री से होता है. वह स्त्री कोई आम स्त्री नहीं थी लेकिन रावण अपनी काम-वासना के चलते इस स्त्री के साथ विवाह के लिए जबरदस्ती करता है और वह स्त्री ही बाद में रावण की मौत का कारण बनती है.
आइए पढ़ते हैं इस कहानी को और जानते हैं कि क्या हुआ जब रावण को मृत्यु का श्राप मिला-
अगस्त मुनि ने सुनाई कथा
एक दिन हिमालय प्रदेश में भ्रमण करते हुये रावण ने अमित तेजस्वी ब्रह्मर्षि कुशध्वज की कन्या वेदवती को तपस्या करते देखा.
उसे देख कर वह मुग्ध हो गया और उसके पास आ कर उसका परिचय तथा अविवाहित रहने का कारण पूछा. वेदवती ने अपने परिचय देने के पश्चात् बताया कि मेरे पिता विष्णु से मेरा विवाह करना चाहते थे. इससे क्रुद्ध हो कर मेरी कामना करने वाले दैत्यराज शम्भु ने सोते में उनका वध कर दिया. उनके मरने पर मेरी माता भी दुःखी होकर चिता में प्रविष्ट हो गई. तब से मैं अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिये भगवान विष्णु की तपस्या कर रही हूँ. उन्हीं को मैंने अपना पति मान लिया है.
पहले रावण ने वेदवती को बातों में फुसलाना चाहा, फिर उसने जबरदस्ती करने के लिये उसके केश पकड़ लिये. वेदवती ने एक ही झटके में पकड़े हुए केश काट डाले. फिर यह कहती हुई अग्नि में प्रविष्ट हो गई कि दुष्ट! तूने मेरा अपमान किया है. इस समय तो मैं यह शरीर त्याग रही हूँ, परन्तु तेरा विनाश करने के लिये फिर जन्म लूँगी. अगले जन्म में मैं अयोनिजा कन्या के रूप में जन्म लेकर किसी धर्मात्मा की पुत्री बनूँगी.
अगले जन्म में वह कन्या कमल के रूप में उत्पन्न हुई. उस सुन्दर कान्ति वाली कमल कन्या को एक दिन रावण अपने महलों में ले गया. उसे देखकर ज्योतिषियों ने कहा कि राजन्! यदि यह कमल कन्या आपके घर में रही तो आपके और आपके कुल के विनाश का कारण बनेगी. यह सुन कर रावण ने उसे समुद्र में फेंक दिया. वहाँ से वह भूमि को प्राप्त होकर राजा जनक के यज्ञमण्डप के मध्यवर्ती भूभाग में जा पहुँची. वहाँ राजा द्वारा हल से जोती जाने वाली भूमि से वह कन्या फिर प्राप्त हुई.
वही वेदवती सीता के रूप में राम की पत्नी बनी.
तो अब आप जान चुके हैं रावण की मृत्यु का राज, इसलिए हमारे धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि स्त्रियों के प्रति दिल में आदर भाव रखना बहुत जरुरी होता है.
एक स्त्री के साथ ही पुरुष कामयाब भी होता है और उसी के श्राप से वह बिगड़ भी जाता है.