— पहले जरा पूरी कहानी याद कीजिये
रामायण कहानी के अनुसार, तब श्री राम, सीता और लक्ष्मण तीनों ही कुटिया में थे. तभी एक हिरण की वाणी सुनकर सीता परेशान हो जाती हैं. वह हिरण रावण का मामा मारीच था. उसने रावण के कहने पर सुनहरे हिरण का रूप बनाया था. सीता उसे देख कर मोहित हो गई और श्रीराम से उस हिरण का शिकार करने का अनुरोध किया.
श्रीराम अपनी भार्या की इच्छा पूरी करने चल पड़े और लक्ष्मण से सीता की रक्षा करने को कहा. मारीच श्रीराम को बहुत दूर ले गया. मौका मिलते ही श्रीराम ने तीर चलाया और हिरण बने मारीच का वध किया.
मरते मरते मारीच ने ज़ोर से “हे सीता ! हे लक्ष्मण” की आवाज़ लगायी.
उस आवाज़ को सुन सीता चिन्तित हो गयीं और उन्होंने लक्ष्मण को श्रीराम के पास जाने को कहा. लक्ष्मण जाना नहीं चाहते थे, पर अपनी भाभी की बात को इंकार न कर सके. लक्ष्मण ने जाने से पहले एक रेखा खीची, जो लक्ष्मण रेखा के नाम से प्रसिद्ध है.
— सीता की गलती…
अब इस पूरे दृश्य को देखकर सीता जी की मुख्य रूप से दो गलतियाँ नजर आती हैं. कुछ लोग वैसे यहाँ भगवान राम के भाई लक्ष्मण की भी गलती बताते हैं कि इनको माता सीता को छोड़कर किसी भी हालत में नहीं जाना चाहिए था. लेकिन अगर हम उस समय की परिस्थिति देखें तो पता चलता है कि लक्ष्मण नहीं चाहते थे कि वह सीता को अकेले छोड़कर जंगल में जायें.
लक्ष्मण ने अपनी शक्ति का प्रयोग किया और सीता जी के लिए लक्ष्मण रेखा खींच दी थी. अब सीता की पहली गलती थी कि वह हिरण के प्रति आकर्षित हो गयीं. दूसरी बड़ी गलती जो एक बड़ी गलती बोली जा सकती है कि सीता ने लक्ष्मण रेखा को लांघकर एक संत जो रावण का रूप लिए हुए था उसके पास गयीं.
— लेकिन यह एक गलती जो बन गयी युद्ध की वजह…
अब अगर हम बात करें कि आखिर वह गलती क्या थी जो युद्ध की वजह बनी थी. तो क्या सीता जी को भगवान राम जी की शक्ति और इनके पराक्रम पर बिलकुल भी विश्वास नहीं था? जब जंगल से, सीता और लक्ष्मण की आवाज आती है तो सीता जी लक्ष्मण को जाने के लिए बोलती हैं लेकिन लक्ष्मण जानते थे कि भाई राम को कुछ नहीं हो सकता है इसलिए वह उनकी आज्ञा को नहीं तोड़ना चाहते थे.
लेकिन दूसरी ओर सीता जी को शायद भगवान राम की पराक्रम और उनकी चतुरता पर बिलकुल भी विश्वास नहीं था.
सीता जी को पता होना चाहिए था इतनी अद्भुत शक्तियों को प्राप्त कर चुके राम मात्र एक हिरण से नहीं मात खा सकते हैं. अभी तक श्री राम जी बड़े-बड़े राक्षसों को मार चुके थे तो क्या वह यहाँ हार सकते थे?
लेकिन जिस तरह से सीता जी ने अपना विश्वास भगवान राम से खोया था तो यह एक गलती बाद में युद्ध की वजह बनी थी.