अंग्रेजों को भारत से गये हुए कितना वक़्त गुजर चुका है.
गुलामी खत्म होकर अब हम आजाद हो चुके हैं लेकिन भारत में एक गाँव ऐसा भी यहाँ जाकर एहसास होता अहि कि हम आज भी गुलाम हैं. यह बात कोई मजाक नहीं है लेकिन सच में इस गाँव के अन्दर आज भी अंग्रेजों के कुछ सैनिको की पूजा की जाती है.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का यह नजारा है.
लोग अपने हाथों में दिये और पूजा की थाली लिए हुए अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं. एक बारगी तो ऐसा लगता है कि जैसे हम किसी मंदिर के बाहर खड़े हुए हैं. लेकिन अगले ही पल पता चलता है कि यह कोई मंदिर नहीं है. यहाँ तो कुछ समाधी हैं जिनकी लोग पूजा कर रहे हैं.
और जब आपको पता चलता है कि आप ब्रिटिश सैनिकों की समाधियों की पूजा कर रहे हैं तब तो आपके होश ही उड़ जाते हैं.
क्या है पूरा वाक्या:-
आगरा से करीब 121 किमी दूर अलीगढ़ जिले में यह समाधि स्थित हैं. ये नौ सैनिक ब्रिटिश सेना के दो सर्वाधिक डेकोरेटेड रेजिमेंट्स-6 ड्रैगन गार्ड्स और 9वीं क्वीन्स रॉयल लैंसर्स- के थे। 1857 की क्रांति में मारे जाने के बाद उन्हें इसी गांव में दफना दिया गया. इन अंग्रेज सैनिकों की कब्रें अब मजार का रूप ले चुकी हैं. यहां पर आपको हमेशा मोमबत्तियां, धुप-अगरबत्तियां और रक्षा धागों की भरमार दिखाई देगी. गांववालों में मान्यता है कि ये शहीद उनके गांव की बुरी आत्माओं से रक्षा करते हैं.
आते हैं यहाँ अग्रेज आज भी:-
गनाव वाले बताते हैं कि यहाँ आज भी इनके घर से लोग आते हैं इनको यहाँ आकर याद करते हैं. साथ ही साथ यहाँ सैलानियाँ भी आते हैं. लेकिन सरकार को इस ओर अभी ध्यान देने कि आवश्यकता है. साफ़-सफाई और कुछ मरम्मत का कार्य होना चाहिए. जिससे यह एक पर्यटन का स्थल बन सके.
चलिए जो भी हो लेकिन इस पूरे दृश्य को देखकर तो यही लागत है कि कैसा देश है मेरा. इतना महान देश है मेरा कि यहाँ दुश्मनों को भी वही प्यार और इज्जत दी जाती है जो दोस्तों को देते हैं. आस्था का यह केंद्र साबित करता है कि भारत में हर धर्म, संस्कृति को स्वीकार करने की अद्भुत ताकत है.