इन खिलाडि़यों से कह दिया गया कि आपके दिन पूरे हो गए हैं।
अब आपकी टीम को जरूरत नहीं। इन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। आलोचकों ने इन खिलाडि़यों को आड़े हाथों लिया और जमकर अपनी भड़ास निकाली। किसी क्रिकेटर को सबसे बड़ा धक्का तब लगता है जब उसके प्रशंसक भी उसका साथ छोड़ने लगे।
ऐसा ही कुछ इन क्रिकेटरों के साथ भी हुआ। इन खिलाडि़यों का प्रशंसकों ने भी साथ छोड़ दिया। मगर इन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। दिन और रात मेहनत की और टीम में वापसी की। यह विजेता बनकर टीम में लौटे।
आखिरकार, इन खिलाडि़यों ने दर्शाया कि टीम से बाहर होने के बाद तथा गहरी चोट खाने के बाद भी योद्धा क्या होता है।
आज हम कुछ ऐसे ही क्रिकेटरों के बारे में बताएंगे, जिन्हें टीम से बाहर कर दिया गया, लेकिन इन्होंने अपनी मेहनत से टीम में वापसी की और विजेता बनकर उभरे।
सौरव गांगुली-
भारतीय टीम के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में से एक सौरव गांगुली ने 2006 में टेस्ट क्रिकेट में धमाकेदार वापसी की थी। उन्होंने जोहानसबर्ग में 51 रन की पारी खेलकर अपनी वापसी का जश्न मनाया। चैपल-गांगुली विवाद के कारण गांगुली को 2005-06 में टीम से बाहर कर दिया गया था। प्रिंस ऑफ कोलकाता ने दमदार वापसी करते हुए दोहरा शतक भी जड़ा। 2007 में वो टेस्ट मैचों में दूसरे सर्वश्रेष्ठ स्कोरर रहे। वापसी के बाद गांगुली ने 2006-07 में 10 टेस्ट में 61.44 की औसत से 1106 रन बनाए। इससे दमदार वापसी और क्या हो सकती है।