वेश्या ,रंडी, धंधेवाली
हमारे सभ्य संस्कारी समाज पर काला धब्बा … यही कहते है ना हम सब हमेशा .
कभी सोचा है इनको ये सब करने पर मजबूर किसने किया, ऐसी क्या मजबूरियां हुई कि एक नारी को अपने जिस्म का सौदा करना पड़ता है. ना चाहकर भी चंद रुपयों के लिए 10-15 भेड़ियों से रोज़ अपने जिस्म को नुचवाना पड़ता है.
नरक से भी बदतर जिन्दगी, ना सुबह का पता चलता है ना शाम का. कहने को तो इन्हें रात की रानी कहा जाता है पर ना जीते जी कोई इनकी खबर लेता है ना मरने के बाद इनका कुछ पता चलता है. इनके बच्चे अगर किस्मत वाले हुए तो किसी समाजसेवी संस्था के जरिये इस दलदल से बाहर निकल कर सामान्य जिंदगी बिताते है और अगर बदकिस्मती से उसी अँधेरे में रह गए तो लड़के अधिकतर अपराधी या दलाल बन जाते है और लड़कियां किसी कोठे की रौनक.
रेड लाइट एरिया जिन्हें हम शहर की गंदगी कहते है, क्या कभी सोचा है कि हर छोटे बड़े शहर में कहीं खुले आम तो कहीं चोरी छुपे ऐसे रेड लाइट एरिया क्यों होते है.
इसका जवाब अमरप्रेम फिल्म के एक गाने में बखूबी दिया है जिसके बोल है
“हमको जो ताने देते है हम खोये है इन रंगरलियों में, हमने उनको भी छुप छुप कर आते देखा है उन गलियों में”
सामने से इन्हें भला बुरा कहने वाले भी कहीं ना कहीं इन वेश्याओं से आकर्षित हो ही जाते है.
क्या आप जानते है कि एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया कहीं और नहीं हमारे देश भारत में ही है.
कोलकाता का सोनागाछी इलाका.
इस क्षेत्र के बारे तरह तरह की कहानियां प्रचलित है कुछ सच्ची कुछ झूठी.
आज तस्वीरों के माध्यम से आपको दिखाते है भारत के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया की सच्चाई… शायद नसीब की मारी इन लड़कियों की हालत देखकर अगली बार इन्हें देखकर मुहं से गाली नहीं शायद सांत्वना के दो बोल निकल जाए.
कोलकाता के सोनागाछी क्षेत्र की एक अँधेरी और बदनाम गली. छोटे छोटे कमरों के सामने बैठ कर अपने ग्राहकों का इंतजार करती वेश्याएं .