आये दिन इंसान चाँद पर रखे अपने पहले क़दम को याद करता है, मंगल ग्रह पर पहुँचे मंगलयान की तारीफ़ें करता है, लेकिन क्या कभी यह सोचा है कि चाँद और मंगल हमारे में क्या सोचते हैं?
अगर चाँद और मंगल बातें करते होंगे पृथ्वी के बारे में तो क्या कहते होंगे?
आओ बताता हूँ चाँद और मंगल के दिल की बात!
1) सबसे पहले तो मंगल ग्रह चाँद से जलता होगा और कहता होगा चाँद से कि तुम सच में भाग्यवान हो जो इतनी सेक्सी, रंगीन और ज़िन्दगी से भरपूर पृथ्वी के पर्सनल चाँद हो, उसके इतने क़रीब हो!
2) फिर दोनों यह बात भी करते होंगे कि इतनी ख़ूबसूरत पृथ्वी ने जाने किन बेवकूफों को अपने ऊपर घर बनाने की इजाज़त दे रखी है! अपना घर तो संभाल नहीं पा रहे, आ जाते हैं हमारे ऊपर घर बसाने, पानी-हवा ढूँढने!
3) इतना ही नहीं, चाँद और मंगल को पक्का यह शिकायत होगी कि यह धरती वाले बिन बुलाये मेहमान की तरह हैं, कभी भी आ धमकते हैं! और आते हैं तो जाने का नाम ही नहीं लेते!
4) फिर उन्हें दुःख भी पहुँचता होगा कि इतनी सुन्दर धरती की क्या दशा बना के रखी है इंसान है!
5) फिर दोनों शायद चाय की चुस्कियाँ लेते हुए सोचते होंगे कि धरती पर रहने वाले इंसान बने तो एक से ही हैं, बस दिखते अलग-अलग हैं तो फिर लड़ाई किस बात की हो रही है वहाँ?
6) उसके बाद हँसते भी होंगे कि उनकी दूर की सहेली पृथ्वी कितनी स्मार्ट है! जहाँ इंसान पंगे बढ़ाता है, वहीं वो भूकम्प, सुनामी, तूफ़ान वगैरह से इंसान को उसकी औक़ात भी बता देती है!
7) खाली टाइम में बैठ कर चाँद और मंगल हिसाब लगाते होंगे कि कितने जल्दी पृथ्वी उनके जैसी दिखने लगेगी! वीरान और बंजर! अब उनके यहाँ ज़िन्दगी मिले या ना मिले, उन्हें पक्का यक़ीन होगा कि धरती पर ज़िन्दगी ज़्यादा चलने वाली नहीं है!
8) उन्हें ग़ुस्सा भी आता होगा कि यार एक देश से एक आदमी आ गया हम पर जीवन ढूँढने, फिर दूसरे देश से आएगा, फिर तीसरे से! अब्बे जो एक को नहीं मिला वो दूसरे को कैसे मिलेगा? कहीं और ढूँढ लो ना!
9) पक्की बात है वो पृथ्वी से अपनी भाषा में सवाल भी करते होंगे कि तुम सबकी माँ कहलाती हो लेकिन अपने बच्चों को तहज़ीब नहीं सिखाई? जब देखो दूरबीन से दूसरों के घरों में झाँकते रहते हैं! यह कैसे मैनर्स हुए, हाँ?
10) उन्होंने तो शायद मन भी बना लिया होगा कि जैसे पृथ्वी से लोग उन पर जाके कहीं भी खड्डे खोदते रहते हैं, एक दिन वो भी पृथ्वी पर आके ऐसी ही खोदा-खादी करेंगे!
वैसे बात तो उनकी ठीक ही है, जो हमारे पास है, उसे हम बर्बाद किये जा रहे हैं! और फिर करोड़ों खर्च कर देते हैं देखने के लिए कि बाहर किसी ग्रह पर ज़िन्दगी है कि नहीं?
सुधर जाओ भाई लोग, वरना चाँद का तो पता नहीं, जिस दिन मंगल ग्रह ने पृथ्वी को पटा लिया ना अपनी मेहबूबा बनने के लिए, उस दिन हम सबकी अम्मा ऐसा विनाश करेगी अपने दिलबर से मिलने के लिए कि अंतरिक्ष में जगह नहीं मिलेगी साँस लेने को!
चाँद तो दहेज में ही उनके साथ हो लेगा!
चलो थोड़ा और ख्याल रखें अपनी प्यारी धरती का, है ना?