शादी…. आजकल के युवा शायद इसी शब्द से सबसे ज्यादा डरते है.
आखिर ऐसी क्या बात है कि शादी का नाम लो और युवा बिदक जाते है, साथ रहने में कोई आपति नहीं पर शादी ना बाबा ना.
हमने कुछ कारण तलाशने की कोशिश की जिनसे पता चले कि आखिर क्यों है शादी से सबको एलर्जी.
कुछ प्रमुख कारण जो है वो है
सही जीवनसाथी ना मिलने का डर
अब वो जमाना है जिसमे लड़का लड़की दोनों के कुछ सपने होते है कुछ महत्वकांक्षाएं होती है और इन सबसे भी ऊपर सबके सोचने और विचारने का अपना एक तरीका होता है. अब ज़रा सोचिये कि अगर किसी ऐसे से शादी हो जाए जिससे आप बात भी नहीं कर सके तो क्या होगा?
मतलब ये कि आप सोचें उत्तर और जाएँ दक्षिण. फिर तो चल गयी शादी की गाड़ी है ना…
सपने पूरा करने में लगने वाला समय
शादी से दूर भागने का एक और कारण है वो ये कि हर कोई आजकल कुछ बनने का कुछ करने का सपना देखता है. और कुछ करने के लिए समय भी तो चाहिए ना. ज़रा सोचिये आप लगे है अपने सपने को पूरा करने की कोशिश में और आपको शादी के बंधन में बाँध दिया जाए, आप ही बताइए क्या आप फिर अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करेंगे या गृहस्थी की गाड़ी को चलाएंगे ?
ये सबसे प्रमुख कारण है शादी से दूर भागने के. चलो मान लेते है कि कैसे भी इन कारणों को परे हटाकर आप शादी करना भी चाहते है तो सामने एक और दुविधा वो ये कि क्या सही है प्रेम विवाह या पुराने ज़माने की तरह घरवालों द्वारा देखा गया रिश्ता ?
कुछ लोग मानते है प्रेम विवाह ही सही है तो दूसरी और घरवालों की इच्छा से अपना जीवनसाथी चुनने वालों के भी अपने तर्क है.
वैसे हमारी माने तो रिस्क दोनों ही मामलों में है. पूछिए कैसे ?
चलिए बताते है…
अगर आप स्वतंत्र और खुले दिमाग के है तो आप हमेशा चाहेंगे कि जिससे भी आपका विवाह हो उसे आप अच्छी तरह जानते हो और वो भी आपको उतनी ही अच्छी तरह से जाने. आखिर बात जिंदगी भर के साथ की है कोई साल दो साल की तो बात नहीं है ना. ऐसे में अगर घर वालों के दबाव में आप उनकी पसंद से शादी कर लेते हो और फिर पता चलता है कि आप दोनों एक दुसरे से कितने अलग हो.
विपरीत आकर्षित करते है ये मामला चुम्बक के साथ तो सही है पर रिश्तों में ज़रूरी नहीं कि ये बात हमेशा ही सही हो. अगर आप दोनों एक दुसरे से एकदम ही विपरीत हो तो ना आप अपने साथी को ठीक से समझ पायेंगे ना वो आपको. इसलिए अगर आप खुले विचारों के प्रगतिवादी और अपने सपनों को पूरा करने में लगे हुए व्यक्ति है तो जीवनसाथी भी ऐसा ही चुने जो आपकी इन सब बातों को ना सिर्फ समझे बल्कि आपका हर परिस्थिति में साथ भी दे.
तो सोच लीजिये ऐसा साथ आप खुद ढूंढ सकते है या फिर आपको भरोसा है कि आपके परिवार वाले ऐसा साथी ढूंढ सकते है.
क्योंकि दोस्तों ये कोई एक दो दिन के साथ की बात नहीं ये फैसला ऐसा है जो आपकी जिंदगी बदल सकता है.
अच्छे ढंग से या बुरे ढंग से.
इसलिए लव मैरिज या अरेंज खतरा दोनों में ही बराबर है.. कहीं शादी में लेने के देने ना पड़ जाए !