क्रिस्टफ रिहाज ने जब अपना सफ़र शुरू किया था तब उन्होंने यह नहीं सोचा था कि उनकी दाढ़ी इतनी ज़्यादा बढ़ जाएगी. चीन के बीजिंग शहर से लेकर उरुमकी शहर तक क्रिस्टफ रिहाज ने अपना सफ़र पैदल ही तय किया.
जी हाँ! पूरी तरह से पैदल.
क्रिस्टफ को सफ़र में उनके मानसिक स्थिति के बारे में पुछा गया था कि सफ़र के वक़्त उनके दिमाग में कैसे ख्याल आ रहे हैं. उन्होंने बड़ी ही सरलता से जवाब दिया कि “ये दिन मेरे जर्मनी में बिताए दिनों की तरह ही काफी सामान्य हैं. कभी-कबार मैं सोचने लगता हूँ और कभी-कबार बिलकुल नहीं सोचता. कभी पासपोर्ट, परिवार वालों, खतरों, दर्दों इत्यादि की चिंता होने लगती है और कभी बस यूँही चलते-चलते बिना किसी चिंता के सफ़र बीतता रहता है.
कभी-कभी यह सफ़र काफी उबाऊ लगता है और कभी-कभी मन बिलकुल शांत हो जाता है.” उन्होंने अपने सफ़र का एक विडिओ भी बनाया हुआ है जो इन्टरनेट पर काफी प्रचलित है.
क्रिस्टफ से जब उनके यूँ पैदल सफ़र करने का कारण पुछा गया तब उन्होंने यह जवाब दिया, “मुझे अपनी ज़िन्दगी फिर से पानी थी, मुझे खुद पर नियंत्रण करना सीखना था. मुझे अपने अंदर के ‘बॉस’ को ख़तम करना था जो मुझे नियंत्रित किये जा रहा था. बहुत लोग मेरे सफ़र का विडियो देख कर कहेंगे कि, “मुझे भी इस आदमी की तरह बनना है!” लेकिन उन्हें यह नहीं पता की मुझे मेरे अंतर्मन ने यह करने को कहा और मैंने सफ़र शुरू कर दिया.”
क्रिस्टफ ने 9 नवम्बर 2007 को इस 4500 की.मी (2796 मील) के सफ़र की शुरुआत की और अक्टूबर 2008 में इस सफ़र का अंत किया. क्रिस्टफ कहते हैं, “अगर में किसी जगह ट्रेन से जाता हूँ तो मैं एक टूरिस्ट कहलाऊंगा और अगर में उसी जगह चलकर जाऊं तो रास्ता मुझे मेरा अपना लगने लगता है.”
क्रिस्टफ के विडिओ ने उन्हें उनके हक़ की शोहरत दी है. वे जर्मनी के म्युनिक शहर में रहते हैं और चीनी और रूसी साहित्य की पढाई कर रहे हैं.
सन 2009 में उन्होंने और ज़्यादा लम्बा सफ़र तय किया था. लेकिन उस यात्रा का कोई दस्तावेजीकरण नहीं किया गया है.