असल ज़िंदगी में जो मर्ज़ी चल रहा हो, सोशल मीडीया पर सबको एक नयी लाइफ लाइन मिल गयी है| चमकदार, खुशनुमा, बहुत ही अच्छी सी ज़िंदगी जीते हैं सब वहाँ, जैसे सभी की ज़िन्दगी और कुछ नहीं बस एक ज़ोरदार पार्टी है और सभी बहुत मज़े ले रहे हैं!
यह नही जानते कि उनका दोगलापन साफ़ नज़र आ रहा है दुनिया को!
आइए आपको बतायें ऐसे ख़ास 10 इमोशन्स के बारे में जो सिर्फ़ सोशल मीडीया पर ही गुलाटियाँ मारते हैं, असल ज़िंदगी से उनका कोई लेना–देना नहीं है:
1) सोशल मीडीया पर अपने प्रेमी या प्रेमिका के लिए प्यार का इज़हार यूँ गोते खाता है जैसे कि इस से पहले ना किसी ने इतना प्यार किया होगा, ना इसके बाद कोई करेगा! हाँ हक़ीक़त में भले ही दोनों एक दूसरे के साथ चीटिंग कर रहे हों, लेकिन सोशल मीडीया पर “मेला बाबू” “मेली बेबी” “लव यू बेबी” जैसे पोस्ट दिन में हज़ारों आते हैं!
2) पति पत्नी के वफ़ादारी के किस्से फ़ेसबुक या ट्विटर पर जाके देखिए! असल ज़िंदगी में बीवी के अलावा एक गर्लफ्रेंड भी होगी, और फेसबुक पर 2-4 के साथ इनबॉक्स में फ्लर्टिंग भी धड़ाधड़ चालू होगी, दूसरी औरतों के फोटो भी खूब ताड़े जाएंगे चुपके चुपके, लेकिन उसी फ़ेसबुक पर पत्नी-पुराण दिन भर गाया जाएगा! पत्नी भी बाय्फ्रेंड से प्यार करेगी लेकिन अपनी पोस्ट में अपने पति के पैरों की धूल चख के ही खाना खाएगी!
3) वैसे तो मंदिर-मस्जिदों के बाहर भिखारियों का जमावड़ा लगा ही रहता है और हम उन्हें अनदेखा कर के चल देते हैं| ग़रीबों की झुग्गी-झोंपड़ियों के करीब से भी नहीं गुज़रते लेकिन सोशल मीडीया पर बटन क्लिक कर के ऐसे बेकार के मेसेज फॉर्वर्ड करते हैं जिन से अंजान लोगों की मदद हो सके! अपनी जेब फिर भी नहीं खोलते, बस आशा करते हैं कि मेसेज कर दिया, मदद हो जाएगी!
4) वैसे पेड़ काट के फॅक्टरी लगवानी है, कार की पार्किंग के लिए जगह बनानी है लेकिन सोशल मीडीया पर हरियाली के उपर पूरा निबंध लिखवा लीजिए! उस पर सरकार को गालियाँ जो देंगे वो अलग!
5) देश में बदलाव लाने के लिए, क्रांति लाने के लिए बड़ी–बड़ी बातें सुबह–शाम होंगी सोशल मीडीया पर| लेकिन जब ज़रूरत आए कि बाहर निकल के कोई असली काम किया जाए तो एक आदमी नज़र नहीं आता! बस AC रूम में कुर्सी पर बैठ के जितनी मर्ज़ी बातें करवा लीजिीए देश की उन्नति के बारे में|
6) हमारे समाज में हज़ार दोष हैं और सभी यह बात जानते भी हैं| सोशल मीडीया पर अपनी खिल्ली भी उड़ाते हैं और निंदा भी करते हैं| लेकिन जैसे ही असल ज़िंदगी में आते हैं, वोही सब काम करते हैं जिसकी आलोचना करते वक़्त बड़ा मज़ा आ रहा था! तब भूल जाते हैं कि समाज में बदलाव कोई और नहीं लाएगा, आपको खुद को लाना होगा!
7) अन्याय के ख़िलाफ़ बहादुरी से नारेबाज़ी होती है, ख़ून खौल जाता है और लगता है अब बदलाव आएगा! लेकिन कहाँ? सिर्फ़ सोशल मीडीया पर! जब असली ज़िंदगी में किसी बेचारे असहाए के ख़िलाफ़ अन्याय हो रहा होता है तो सब आँखें मून्दे सोए रहते हैं!
8) फेसबुक पर औरत को देवी मानते हैं, हर वक़्त मर्द-औरत की बराबरी का नारा देते हैं, औरतों के लिए जान लूटा देने की बड़ी-बड़ी बातें भी होती हैं और अपने बेटियों के साथ सेल्फी भी ली जाती है| पर इंटरनेट बंद हुआ नहीं कि घर-बाहर औरत के साथ दुर्व्यवहार, उसे गन्दी नज़र से देखना, घर में काम करना सिर्फ औरत का ही फ़र्ज़ है, मर्द क्यों खाना पकाये, ये सब शुरू हो जाता है!
9) सोशल मीडिया पर इंसानियत के लिए प्यार ऐसे उमड़ के आता है जैसे कि विश्व-शांति का बीड़ा इन्होनें ही उठाया है| लेकिन कोई इनकी बात काट के तो देखे, कोई असहमति तो दिखाए, फिर देखिए कैसे चाकू-खंजर लेकर पीछे पड़ जाएँगे अपनी बात मनवाने के लिए! नीति और सिद्धांतों का बोलबाला जितना सोशल मीडीया पर होता है उतना तो शायद इन सिद्धांतों को बनाने वालों ने भी कभी नहीं किया होगा! बस हक़ीक़त में ज़्यादातर लोग ना तो ईमानदार हैं, ना ही सिर्फ़ सच की राह पर चलते हैं! मतलब के अनुसार नीति और सिद्धांत ऐसे बदलते हैं जैसे कि कपड़े!
10) और ये वाला तो क्लासिक है! साल भर चाहे दूर रह रहे मम्मी पापा को फ़ोन नहीं करेंगे, लेकिन उन का बड्डे आते ही फेसबुक पर लम्बी चौड़ी पोस्ट डाली जायेगी! “माँ तुम ही जीवन हो, तुम ही मेरी सांसें हो और तुम ही मेरा प्यार! कैसे रहूँ तुम्हारे बिना! I love you so much “ अरे हुज़ूर ये बात मम्मी को बोलिए न फ़ोन कर के, दुनिया को काहे रुला रहे हैं?
तो हुज़ूर ये हैं कुछ शोशे सोशल मीडिया के, और वो इमोशन जो लोग सिर्फ सोशल मीडिया पर ही प्रकट करना पसंद करते हैं!
आप इन में से कौन कौन से करते हैं या कर चुके हैं, ज़रा हमें भी बताईये!