आईएसआईएस की क्रूरता का अंदाजा कुछ वक्त पहले पूरा भारत देख चुका है।
जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 39 भारतीयों के मासूल में आईएस के हाथों मारे जाने की पुष्टि की थी ।
हालांकि 39 भारतीयों के मारे जाने की बात एक हिंदी न्यूज चैनल ने एक साल पहले ही कर दी थी । लेकिन उस वक्त विदेश मंत्रालय ने इस बात से मना कर दिया था । हांलाकि ये पहला मौका नहीं जब आईएसआईएस की क्रूरता को दुनिया ने देखा हो । इसे पहले भी कई बार आईएसआईएस की क्रूरता दुनिया को दिखी है । जिसका शिकार 2014 में एक ऐसा परिवार बना जिसे अपने आप को छुड़ाना के लिए 58 लाख रुपये आईएस को देने पड़े ।
सलीम ( बदला हुआ नाम ) के 19 सदस्यों को साल 2014 में बंदी बना लिया था । जिसमें अब तक सलीम अपने परिवार के 10 सदस्यों को आईएस से छुड़ाने में कामयाब रहा है । जिसके लिए उसे आईएस को 58 लाख यानी 90 हजार डॉलर रुपये देने पड़े । लेकिन सलीम के मन में उन 10 लोगों को छुड़ाने से ज्यादा उन 9 लोगों की चिंता है जो अभी भी आईएस के चुंगल में है ।
अक्सर हमें अपने रिश्तों की असली हमियत उस वक्त पता चलती है ।
जब वो हमसे दूर होते है । उसदिन सलीम के घर पर जब हमला हुआ वो अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर भागने में तो कामयाब हो गए । लेकिन उनके परिवार के बाकी सदस्यल आईएस के चुंगल में ही फंसे रह गए । जिनमें से एक सदस्य 16 साल की नरगिस पिछले साल पिक ट्रक में वापस में लौटी । नरगिस तीन सालों तक आईएस के कब्जे में रहे । और इन तीन सालों में उस नाबालिग को कई बार खरीदा बेचा गया । आखिर में 16 हजार डॉलर देकर सलीम से उसे आईएस के चुंगल से छुड़ा लिया ।
लेकिन भले ही उस वक्त अब काफी साल गुजर चुके हों लेकिन उस हादसे की तस्वीर आज भी उनके परिवार के सामने मंडराती रहती है । और अपने परिवार के उन नौ लोगों की चिंता भी जो अभी भी आईएस के चुंगल में फंसे हुए है ।
लेकिन महत्वपूर्ण बात ये थी कि सलीम को अपने परिवार को छुड़ाने के लिए उन शैतानों जैसा ही बना पड़ा और इस्लामिक स्टेट के साथ दोस्ती बढ़ानी पड़ी । दरअसल कुछ रिपोर्टस के मुताबिक इस्लामिक स्टेट बंदी बनाए बच्चों और महिलाओं का व्यापार करता है ।उनके खरीदने बेचने के लिए बोली किस गुप्त एप के जरिए लगाई जाती है । सलीम ने भी इस बात के बारे में पता लगाया ।जिसे उसे अपने परिवार के सदस्यों के जिंदा होने के बारे में पता लगा ।और उन्हें अपने ही परिवार वालों को इस्लामिक स्टेट से एक भारी किमत देकर खरीदना पड़ा । अपने परिवार को बचना के लिए उन्होनें एक स्मगलर के तौर भी काम किया ।
कुछ रिपोर्टस की माने तो आईएसआईएस की क्रूरता की हद हो गई है – ईराक और सीरिया में बंदी बनाए गए लोगों को आज भी इंटरनेट पर बोली लगाकर बेचने का व्यापार करता है ।
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