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नवरात्रि में देवी के इन 9 रूपों का पूजन किया जाता है

नवरात्रि हमारे देश का एक प्रमुख त्यौंहार है.

पूरे देश में अलग अलग रीति से नवरात्रि मनाई जाती है.

कहीं गरबा डांडिया तो कहीं पूजा के पांडाल या कहीं जगराता. तरीका चाहे कुछ भी हो नवरात्रि में दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती.

नवरात्रि शब्द का अर्थ है 9 रातें. इन 9 रातों में दुर्गा माता की 9 अलग अलग रूपों में पूजा की जाती है.

इन 9 दिनों में मद्यपान और मांस भक्षण वर्जित होता है. इन 9 दिनों में माता की विधिपूर्वक पूजा करने से बहुत अच्छा फल मिलता है.

आइये जानते है माता दुर्गा के 9 रूपों के बारे में

शैलपुत्री

नवरात्रि के पहले दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है. हिमालय के घर जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा. ये वृषभ की सवारी करती है और अपने हाथ में त्रिशूल धारण करती है.

ब्रह्मचारिणी

माता के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा नवरात्र के दुसरे दिन की जाती है. शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए गहन तपस्या करने की वजह से दुर्गा के इस रूप का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा. विद्यार्थियों को इस रूप की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है.

चंद्रघंटा

दुर्गा के तीसरे शक्ति रूप का नाम चंद्रघंटा है. नवरात्रि के तीसरे दिन माता के इस रूप की पूजा की जाती है. इनके सिर पर चन्द्रमा विराजमान रहता है इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. नवरात्रि में माता के इस स्वरूप का पूजन करने से सभी कष्ट दूर हो जाते है.

कुष्मांडा

देवी का चौथा शक्ति स्वरूप कुष्मांडा है. कुष्मांडा सूर्य के के घेरे में निवास करती है. नवरात्रि में इनका पूजन करने से धन,यश,बल,ऐश्वर्य और आयु में वृद्धि होती है. कहा जाता है कि देवी के इस स्वरुप में इतनी शक्ति है कि ये सूर्य का ताप सहन कर सकती है.

स्कंदमाता

नवरात्रि के पांचवे दिन भगवन स्कन्द की माता के रूप में देवी की पूजा होती है. स्कंदमाता की पूजा करने से मोक्ष के द्वार खुलते है. स्कंदमाता चार भुजा वाली है. कहा जाता है कि इनकी कांति सम्पूर्ण ब्रह्मांड को प्रकाशित करती है.

कात्यायनी

महर्षि कात्यायन के घर जन्म लेने के कारण देवी के इस स्वरूप को कात्यायनी कहा जाता है. नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा की जाती है. देवी कात्यायनी का जन्म महिषासुर के वध के लिए हुआ था. सप्तमी,अष्टमी और नवमी तक साधना करने के बाद दसमी के दिन माता ने महिषासुर का वध किया था.

कालरात्रि

सातवें दिन कालरात्रि की पूजा की जाति है. इस दिन सभी सिद्धियों का द्वार खुलता है. सच्चे मैन और विधि विधान से उपासना करने पर साधक को सम्पूर्ण ब्रह्मांड की सिद्धियों का अनुभव होता है. बुरी शक्तियां कालरात्रि के नाम से ही भाग जाती है.

महागौरी

नवरात्रि के आठवें दिन शेत वस्त्र धारण किये हुए देवी के महागौरी रूप की पूजा की जाती है. महागौरी की उपासना शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है.ये देवी का सबसे सौम्य और शांत रूप है, इनकी उपासना करने से सभी कष्ट दूर होते है और असीम मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है.

सिद्धिरात्रि

नवरात्रि के आखिरी दिन देवी के सिद्धिदात्री रूप की पूजा की जाती है. देवी का ये स्वरूप सभी सिद्धियाँ प्रदान करने वाली है. भगवान् शिव ने भी देवी के इसी स्वरूप की तपस्या करके सिद्धियाँ प्राप्त की थी. सिद्धिरात्रि ने ही भगवान शंकर को आधा नारी शरीर प्रदान किया था.

ये थे देवी के 9 स्वरुप. नवरात्रि में इनकी विधि विधान पूर्वक पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है एवं कष्टों से मुक्ति मिलती है.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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