दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि क्या कोई इतना धनवान हो सकता है कि पूरे विश्व के आधे लोगों के पास जितनी संपत्ति है, उतनी संपत्ति सिर्फ 8 लोगों के पास है. मतलब कि दुनिया की आधी संपत्ति इन लोगों के पास है !
ऑक्सफैम ने एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी है.
दिलचस्प बात है कि विश्व के आधे लोगों की गिनती नीचे से शुरू होगी.
मतलब की सबसे गरीब से लेकर अमीर तक की ओर गिनती करने पर इन आधे लोगों की संपत्ति. ये सभी 8 धनवान व्यक्ति पुरुष हैं. ऑक्सफैम ने जिन उद्योगपतियों की बात की है, उनमे स्पेन के एक और मेक्सिको के एक बाकी के 6 उद्योगपति अमेरिका के हैं.
ऑक्सफैम ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सालाना मीटिंग के दौरान कहा कि ‘धर्म की खाई पहले की तुलना में ज्यादा व्यापक हुई है.’ दोस्तों भारत और चीन के नए आंकड़े बताते हैं कि दुनिया के आधे गरीब लोग पहले से और ज्यादा गरीब हो गए हैं.
ऑक्सफैम ने इस बात को अशुभ बताया और कहा कि कुछ समय पहले अगर ये डाटा मिलता तो पता चलता कि पिछले साल 2016 में 9 लोगों के पास इतनी ही संपत्ति होती.
साल 2010 में 43 लोगों के पास दुनिया के गरीबों की आधी संपत्ति थी.
फोर्ब्स की उद्योगपतियों की सूची से इन उद्योगपतियों का चयन किया गया है. इन उद्योगपतियों में Amazon के फाउंडर जेफ बेजोस, Facebook के को फाउंडर मार्क जकरबर्ग और Microsoft के फाउंडर बिल गेट्स शामिल हैं.
ऑक्सफैम ने गरीबों और अमीरों के बीच के व्यापक अंतर और मुख्यधारा कि राजनीति में उत्पन्न हो रहे असंतोष को बताया है.
दुनिया की आधी संपत्ति के मालिक !
1 – दोस्तों माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स लगभग 5 लाख करोड़ रुपए के मालिक हैं. उनका स्थान शीर्ष पर है.
2 – बिल गेट्स के बाद अमांसियो ऑर्तेगा के पास लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपए.
3 – तीसरे नंबर पर वॉरेन बफेट के पास लगभग 4.4 लाख करोड़ रुपए है.
4 – चौथे नंबर पर 3.6 लाख करोड़ के मालिक मेक्सिकन कारोबारी कार्रोस स्लिम हैं.
5 – तीन 3 लाख करोड़ के मालिक जेफ बेजोस पांचवे नंबर पर हैं.
6 – और इनके बाद हैं Facebook के संस्थापक और सीईओ मार्क जकरबर्ग. इनकी संपत्ति 2.95 लाख करोड़ रूपए है.
7 – ओरेकल कॉर्प, लैरी एलिसन 2.9 लाख करोड़ रुपए.
8 – 2.7 लाख करोड़ रुपए के मालिक माइकल ब्लूमबर्ग का नाम आता है.
इन लोगों के पास है इन 8 लोगों के पास है दुनिया की आधी संपत्ति ! एक नई रिपोर्ट ‘ऐन इकॉनमी फॉर द 99 पर्सेंट’ में ऑक्सफैम ने कहा, ब्रेक्जिट से लेकर डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने की सफलता तक, नस्लवाद में वृद्धि और मुख्यधारा की राजनीति में अस्पष्टता से चिंता बढ़ती जा रही है. जबकि संपन्न देशों में ज्यादा – से – ज्यादा लोगों में यथा स्थिति बर्दाश्त नहीं करने के संकेत भी ज्यादा देखे जा रहें हैं.