सिनेमा देखने वालों की दो श्रेणियां होती हैं.
एक होते हैं पलायनवादी(escapism) दर्शक और एक होते हैं यथार्थवादी(realism) दर्शक. लेकिन इन दो श्रेणियों से हटके होते हैं ‘अंदाज़ अपना अपना’ पसंद करनेवाले दर्शक.
आमिर और सलमान ने जब राजकुमार संतोषी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में एक साथ काम किया तब लोगों ने इस फिल्म को बिलकुल ही नकार दिया. अंदाज़ अपना अपना 1994 की सबसे बड़ी फ्लॉप फिल्मों में से एक थी. लेकिन किसी अच्छी क्वालिटी की वाइन की तरह ही यह फिल्म भी समय के साथ और ज़्यादा मज़ेदार बन गयी है.
बहुत लोगों का यह मानना है कि ‘अंदाज़ अपना अपना’, बॉलीवुड में बनाई गई सबसे महान फिल्मों में से एक है. हमारा मानना भी करीब करीब यही है.
हम पेश करते हैं 6 कारण जो इस बात को सिद्ध कर देंगे.
1. आमिर और सलमान की कमाल की केमिस्ट्री.
इस फिल्म में यह बहुत ही बढ़िया तरीके से बताया गया है कि परदे पर खाली हीरो और हिरोइन की केमिस्ट्री ही धमाकेदार नहीं होती! दो पुरुष अदाकार भी एक कमाल की जोड़ी बना सकते हैं.
रॉबर्ट और भल्ला भी इस बात का सुबूत हैं.
2. क्राइम मास्टर गोगो.
शक्ति कपूर का अमर डायलाग “आँखें निकाल के गोटी खेलूँगा” बच्चों-बच्चों के मुह पे कायम है.
वह काले कपड़े, कानी आँख, और ‘स’ को ‘थ’ बोलने वाली ज़ुबान, दर्शकों को इतनी पसंद आई कि क्राइम मास्टर गोगो को लोगों ने विलन माना ही नहीं.
3. परेश रावल की दोहरी भूमिका.
हिन्दुस्तान के सबसे प्रसिद्ध और सबसे अच्छे अदाकारों में से एक परेश रावल की अंदाज़ अपना अपना में दोहरी भूमिकाएं थीं, श्याम गोपाल बजाज और राम गोपाल बजाज. “तेजा मैं हूँ, मार्क इधर है!” यह डायलाग इस तरह प्रसिद्ध हुआ कि आज-कल टी-शर्टों पर भी छपा पाया जाता है.
4. एक ऐसी कॉमेडी जो आज भी ठहाके लगाने पर मजबूर कर देती है.
‘अंदाज़ अपना अपना’ एक ऐसी फिल्म है जिसकी कॉमेडी अपने समय से काफी आगे थी और इसीलिए आज भी इसे सराहा जाता है. यह कहना गलत नहीं होगा कि यह फिल्म राज कुमार संतोषी के करियर की सबसे अच्छी फिल्म है.
5. मन मोह लेने वाले गाने.
इस फिल्म के गाने अपने ज़माने के फ़िल्मी गानों से काफी अलग थे और 1970 के दशक की याद दिलाते हैं. इस फिल्म के संगीतकार, तुषार भाटिया ने इसी बात को मद्दे नज़र रखते हुए इस फिल्म को संगीत दिया था कि गानों में 1970 के दशक की झलक तो मिलनी ही चाहिए.
6. वह ‘महान उलझन’.
यह फिल्म एक ऐसी फिल्म है जिसमें हर तरह की पसंद की जानेवाली चीज़ें मौजूद हैं. लोगों को मार-धाड़ पसंद है? है इसमें, रोमांस पसंद है? है इसमें! चुटकुले पसंद हैं? कूट-कूट कर भरे हैं इसमें! करिश्मा रवीना है और रवीना करिश्मा! ये तेजा-तेजा क्या है? ये तेजा-तेजा! ऐसी कई उलझनें आपको मनोरंजित करने में बिलकुल सशक्त साबित होती हैं!
7. राजकुमार संतोषी की कमाल की मैनेजमेंट.
‘अंदाज़ अपना अपना’ एक ऐसी फिल्म है जिसमें उस समय के बहुत सारे बड़े-बड़े सितारे शामिल थे. लेकिन फिर भी राजकुमार संतोषी जी ने बड़ी ही कार्य कुशलता से इन सब बड़े नामों को संभाला और एक ऐसी फिल्म बनायी जिसके नाम का लोग आज भी लोहा मानते हैं.
अब बताइए! अंदाज़ अपना अपना के बारे में आप का क्या ख्याल है?
राजकुमार संतोषी ‘अंदाज़ अपना अपना 2’ बनाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं. लेकिन स्क्रिप्ट है कि तैयार होने का नाम ही नहीं ले रही है.
हम आशा करते हैं कि ‘अंदाज़ अपना अपना’ फिर से बने और लोग फिर से ठहाके लगाने पर मजबूर हो जाएँ.