दोस्तों इंटरनेट ने दूसरे देशों के साथ – साथ हमारे भारत देश में भी अपनी पैठ इस कदर बना ली है कि इस से कोई अछूता नहीं रह गया.
पढ़ा – लिखा हो या अनपढ़ हो, बूढे – बुजुर्ग हो, नवयुवक हो या बच्चे हो, पुरुष हो या फिर महिला हो, हर किसी की जरूरत बन चुका है इंटरनेट.
इसी कड़ी में ग्रामीण भारत की महिलाएं भी इंटरनेट के जरिए अपने ज्ञान को बढ़ाते हुए प्रगति के पथ पर अग्रसर है.
ग्रामीण भारत में डिजिटल वर्ल्ड में व्याप्त लिंगभेद को खत्म करने के इरादे से ‘इंटरनेट साथी’ योजना की शुरुआत की गई.
Google के अनुसार भारत की सभी इंटरनेट जनसंख्या में सिर्फ 30 फ़ीसदी महिलाओं की हिस्सेदारी है, जबकि पूरे 70 फ़ीसदी पुरुष हैं. गांव की बात करें तो यहां के हालात इस से भी अधिक खराब हैं. जहां अगर इंटरनेट चलाने वाले 10 लोग हैं. तो उन में महिलाओं की संख्या सिर्फ एक है. परिवार का दबाव और जानकारी या फिर उनका खुद का इंटरेस्ट नहीं होना बड़ी वजह है.
इस प्रोग्राम के अंतर्गत महिलाओं को इंटरनेट की सारी जानकारी देना और साथ हीं टेबलेट और स्मार्टफोन चलाना भी सिखाया जाता है और बाद में जो महिला सीख जाती है इसे चलाना, वो गांव की दूसरी महिलाओं को भी बताती हैं. इसके जरिए उन्हें इंटरनेट, कुकिंग, हेल्थ इत्यादि जैसी सभी जानकारियों से अवगत कराया जाता है. अब तक 60,000 गांव को इसका हिस्सा बनाया जा चुका है. Google का लक्ष्य है कि आने वाले 2 सालों में 3 लाख गांव तक ये सुविधा पहुंचाई जाएगी.
गूगल ने टाटा ट्रस्ट के साथ मिलकर वेस्ट बंगाल के गांव में ये कार्यक्रम शुरू किया था.
आज Google का ये कार्यक्रम अपनी अलग पहचान बनाने में सफल हो चुका है. कुछ महिलाओं से बात करने पर पता चलता है कि उन्हें इस नई टेक्नोलॉजी को सीख कर काफी अच्छा लगा. इस कारण अब वो महिलाएं अपने आप को और ज्यादा सशक्त महसूस कर पा रही हैंं.
पहले की तुलना में आज देश काफी आगे बढ़ चुका है. ये तरक्की लगातार बड़ी तेज रफ्तार के साथ जारी है. ये तो निश्चित है कि देश को प्रगतिशील बनाने में हर किसी के सहयोग की आवश्यकता है. फिर चाहे पुरुष हो या महिला. जब तक देश का एक – एक व्यक्ति प्रगति के पथ पर अग्रसर नहीं होगा, देश भी प्रगति नहीं कर पाएगा.